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हल्द्वानी। हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाएँ विभाग, मानविकी विद्याशाखा, उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी द्वारा हिंदी पखवाड़ा के अवसर पर एकदिवसीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की शुरुआत हिंदी में हस्ताक्षर अभियान के साथ की गयी। तदुपरांत “हिंदी भाषा : चेतना और संवेदना” बिषय पर व्याख्यान कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ मंगलाचरण एवं दीप प्रज्ज्वलन से किया गया।
कार्यक्रम के अध्यक्ष कुलपति प्रोफ़ेसर ओ पी एस नेगी रहे। उन्होंने अपने उद्वोधन में कहा कि भाषा सर्वस्पर्श की भाषा है। भाषा चेतना एवं संवेदना की जागृति है। हिंदी भाषा में देश को जोड़ने की क्षमता है। इसलिए आज के दिन हमें गर्व का अनुभव होना चाहिए।
मुख्य अतिथि प्रो दिनेश चमोला ने हिंदी साहित्य के विविध उदाहरण के माध्यम से हिंदी भाषा की साम्वेगिक स्थिति से अवगत कराया। प्रो चमोला ने हिंदी भाषा की ताकत लोक को माना। अतिथियों का स्वागत निदेशक प्रोफेसर रेनू प्रकाश जी ने किया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि हिंदी दैनिक दिनचर्या के लिए आवश्यक है। हमें हिंदी को व्यावहारिक रूप में जानना होगा।
इस अवसर पर कार्यक्रम में विशिष्ट वक्ता के रूप में डॉ मृत्युंजय, सीएसडीएस नई  दिल्ली ने बताया कि हिंदी भाषा चेतना की भाषा है। हिंदी सिनेमा एवं रेडियो का अभिन्न योगदान रहा, हिंदी को स्थापित करने में।
इस अवसर पर कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ रविकांत, सीएसडीएस, नई दिल्ली ने बताया कि भाषा संस्कृति का संचार है। आलोचना के बिना ज्ञान नहीं पनपता।
कार्यक्रम के सह संयोजन डॉ शशांक शुक्ला ने  कहा कि चेतना का प्रभाव ही भाषा है। संवेदना को भाषा ही विस्तार देती है। हिंदी जातीय चेतना की भाषा है। इस अवसर पर पुरस्कार वितरण का भी आयोजन किया गया। जिसमें डॉ. कांता प्रसाद को प्रथम, डॉ. मेधा पंत को द्वितीय, दीप्ति कमल को तृतीय पुरस्कार दिया गया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभी निदेशक गण, प्राध्यापक, प्रशासनिक अधिकारी, कुलसचिव, तथा डॉ राजेंद्र केड़ा, डॉ गोपाल दत्त भट्ट, राजेंद्र सिंह क्वीरा, डॉ. नंदन कुमार तिवारी, डॉ प्रमोद जोशी, डॉ. प्रभाकर पुरोहित, द्विजेश उपाध्याय, जगमोहन परगाई, भाग्यश्री, अरविंद भट्ट, राहुल पंत, डॉ सुधीर नौटियाल, रेनू भट्ट, सहित 100 से अधिक लोग मौजूद रहे।

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