देहरादून: उत्तराखंड के खानपुर विधायक उमेश कुमार और पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैंपियन के बीच हुए विवाद ने प्रदेश की राजनीति में तूफान मचाया है। सोशल मीडिया से लेकर सड़कों तक, इस विवाद की गूंज सुनाई दे रही है। पर हैरान करने वाली बात ये है कि इस राजनीतिक घमासान ने 38वें राष्ट्रीय खेलों पर भी अपना प्रभाव डाला है। जहां एक ओर लोग खेलों को लेकर उत्साहित नहीं दिखे, वहीं दूसरी ओर इन नेताओं के विवाद ने सोशल मीडिया पर खलबली मचा दी।
हाईकोर्ट ने इस गंभीर मामले का स्वतः संज्ञान लेते हुए हरिद्वार के एसएसपी और जिलाधिकारी को बुलाकर कानून व्यवस्था पर रिपोर्ट तलब की है। दरअसल, यह विवाद इतना बढ़ चुका था कि अब तक पुलिस भी मूकदर्शक बनी रही, और कार्रवाई के मामले में सवाल उठने लगे हैं।
पूर्व विधायक चैंपियन के खिलाफ पुलिस ने कड़ी धाराएं लगाई हैं, और उन्हें 14 दिनों के रिमांड पर भेजा गया है, जबकि उमेश कुमार को जमानत मिल गई। यह असमान कार्रवाई राजनीतिक दबाव या पक्षपाती होने के सवालों को जन्म देती है।
इतना ही नहीं, हाईकोर्ट ने इस मामले को ‘अक्षम्य’ बताते हुए कहा कि देवभूमि में बाहुबली प्रदर्शन स्वीकार नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के बावजूद यह मामला सामने आना, राज्य की छवि को नुकसान पहुंचाने वाला है।
राजनीति से बाहर आकर, एक दिलचस्प मोड़ यह है कि चैंपियन के बेटे, दिव्य प्रताप सिंह, जो शूटिंग प्रतियोगिता में भाग ले रहे हैं, नेशनल गेम्स में ध्यान केंद्रित करने की कोशिश कर रहे हैं। रोशनाबाद जेल से एक पत्र भेजकर उन्होंने महापंचायत को टालने की अपील की और लोगों से अपने बेटे के लिए आशीर्वाद की मांग की। उनका मानना है कि उत्तराखंड में चल रहे राष्ट्रीय खेलों का समर्थन करना उनका कर्तव्य है।
इस विवाद ने पूरे प्रदेश में राजनीति का तापमान बढ़ा दिया है और अब देखना यह होगा कि न्यायालय और पुलिस मामले में आगे क्या कदम उठाती है।