

जिला उधम सिंह नगर का प्रशासन बेखबर, कॉलोनी वासियों ने बनाया हाईकोर्ट जाने का मन
राजीव चावला
रुद्रपुर: उधम सिंह नगर में भूमाफियाओं और बिल्डरों के बढ़ते प्रभाव के बीच एक गंभीर मामला सामने आया है, जहां कॉलोनियों में नियमानुसार छोड़ी जाने वाली सार्वजनिक जगहें, जैसे पार्क, स्कूल और अस्पताल की ज़मीन, अब रसूखदारों को बेची जा रही हैं। यह सब प्रशासन और जिला विकास प्राधिकरण की नाक के नीचे हो रहा है। हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि कॉलोनी वासियों को अब माननीय उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी करनी पड़ रही है।
जानकारी के मुताबिक, भूमाफिया सबसे पहले किसानों से जमीन लेता है और उसे सस्ते दामों पर खरीदने के बाद उस पर अवैध कॉलोनियों की प्लॉटिंग शुरू कर देता है। कॉलोनी में आने वालों को यह आश्वासन दिया जाता है कि यहां स्कूल, अस्पताल, और पार्क जैसी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। लेकिन जब कॉलोनी बस जाती है, तो धीरे-धीरे इन सारी सुविधाओं के लिए आरक्षित ज़मीन को बेच दिया जाता है, जिससे कॉलोनी वासियों के सपने चूर-चूर हो जाते हैं।
काशीपुर रोड पर स्थित एक प्रमुख कॉलोनी के पार्कों की ज़मीन पिछले दो वर्षों में रसूखदारों के नाम पर रजिस्ट्री कर दी गई। इस पर कॉलोनी वासियों ने रजिस्ट्री कार्यालय, जिला प्रशासन और कमिश्नर कार्यालय में शिकायतें कीं, लेकिन प्रशासन की चुप्पी बनी रही। अब कॉलोनी वासी इस मुद्दे को लेकर उच्च न्यायालय में जाने की तैयारी कर रहे हैं।
कॉलोनी वासियों का कहना है कि बिल्डर ने उन्हें वादा किया था कि कॉलोनी में बच्चों के खेलने के लिए पार्क बनाए जाएंगे, लेकिन अब वही पार्क कंस्ट्रक्शन साइट में बदल चुके हैं। यहां पर रसूखदारों द्वारा कच्चे और पक्के निर्माण कार्य कराए जा रहे हैं, जिससे ना सिर्फ कॉलोनी की सुंदरता नष्ट हो रही है, बल्कि बच्चों और बुजुर्गों के लिए खुली हवा में सांस लेने की जगह भी खत्म हो रही है। इस पर स्थानीय लोग नाराज हैं और इसे लेकर आक्रोशित हैं।
जब इस मामले में बिल्डर से संपर्क किया गया, तो उनका फोन बंद मिला और उनसे कोई संपर्क नहीं हो सका। कॉलोनी वासियों का आरोप है कि अब बिल्डर कॉलोनी से गायब हो चुका है और उनकी शिकायतों का कोई जवाब नहीं दिया जा रहा है।
किच्छा रोड पर भी बिके पार्क
इस समस्या का एक और उदाहरण किच्छा रोड पर देखने को मिला है, जहां आधा दर्जन से ज्यादा कॉलोनियों में पार्क की ज़मीन भी बेची जा चुकी है। वहां भी निर्माण कार्य शुरू हो चुका है और स्थानीय लोग परेशान हैं। कुल मिलाकर
प्रशासन की निष्क्रियता और बिल्डरों की मनमानी ने आम जनता को भारी परेशानी में डाल दिया है। अगर समय रहते इस पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले दिनों में यह समस्या और गंभीर हो सकती है। कॉलोनी वासियों के लिए यह एक सुनहरा अवसर हो सकता है, जहां उन्हें अपनी आवाज उठाने का पूरा हक है।
प्रशासनिक सूचियों में नाम, कार्रवाई अधूरी
जिला प्रशासन और जिला विकास प्राधिकरण द्वारा अवैध कॉलोनियों की सूची जारी की गई है और उनमें कंपाउंडिंग और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही की बात की जा रही है, लेकिन कॉलोनी वासियों को अब तक कोई राहत नहीं मिली है। सवाल यह उठता है कि जब ये कॉलोनियां पहले ही अवैध थीं, तो इनकी रजिस्ट्री कैसे हो गई?
जल्द होगा बड़ा आंदोलन
नाराज कॉलोनी वासियों ने अब सामूहिक रूप से आंदोलन की चेतावनी दी है। उनका कहना है कि जब तक प्रशासन उनके अधिकारों की रक्षा नहीं करता, वे चुप नहीं बैठेंगे। उनका कहना है कि अब हम न्यायालय की शरण में जायेगे।





