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देहरादून: उत्तराखंड की नौकरियों की सबसे बड़ी परीक्षा में एक बार फिर से वही हुआ, जिसका डर था पेपर लीक। उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (यूकेएसएसएससी) की स्नातक स्तरीय परीक्षा में जो कुछ हुआ, वह सिर्फ एक परीक्षा नहीं लीक हुई, बल्कि व्यवस्था की पोल खुली है, वो भी एक बार फिर। इस बार घोटाले का मास्टरमाइंड खालिद मलिक है, जिसे हरिद्वार से गिरफ्तार कर लिया गया है। गिरफ्तारी की पुष्टि खुद देहरादून के एसएसपी अजय सिंह ने की है। लेकिन इस गिरफ्तारी से पहले क्या हुआ, उसे समझना ज़रूरी है। परीक्षा केंद्र आदर्श बाल सदन इंटर कॉलेज, बहादरपुर जट, जहां 18 कमरे थे, लेकिन जैमर लगे सिर्फ 15 में। खालिद बैठा था कमरा नंबर 9 में और इत्तेफाक देखिए, वहीं जैमर नहीं था। अब यह इत्तेफाक था या सोची-समझी साजिश, यह जांच का विषय है, लेकिन तस्वीर साफ है परीक्षा तंत्र में सुराख बहुत गहरे हैं। खालिद ने इसी कमरे से किसी डिवाइस के जरिए तीन पेज की प्रश्नपत्र सामग्री पहले अपनी बहन साबिया को भेजी, और साबिया ने उसे प्रोफेसर सुमन चौहान तक पहुंचा दिया।
यानि पेपर वहीं से लीक हुआ, जहां व्यवस्था सबसे कमजोर थी या यूं कहें, जहां व्यवस्था को जानबूझकर कमजोर किया गया। एसएसपी अजय सिंह ने इस जांच की ज़िम्मेदारी पुलिस अधीक्षक देहात जया बलूनी को सौंपी है। बलूनी की टीम ने परीक्षा केंद्र का निरीक्षण किया, प्रिंसिपल, कक्ष निरीक्षकों और अन्य कर्मचारियों से पूछताछ की। और अब कुछ संदिग्ध हिरासत में हैं। जांच में जो सबसे अहम बात सामने आई, वह ये कि यह कोई एक आदमी का काम नहीं था। यह एक संगठित नकल गिरोह है और इसका नेटवर्क पेपर से लेकर प्रोफेसर तक फैला है।
खालिद के पास से मोबाइल डिवाइस बरामद हुआ है, जिससे पुलिस को कई चौंकाने वाले सबूत हाथ लगे हैं। पूछताछ अब गोपनीय स्थान पर हो रही है। हरिद्वार और देहरादून पुलिस की संयुक्त टीमें इस पूरे नेटवर्क को उधेड़ने में जुटी हैं।
अब सवाल ये है कि क्या आयोग सिर्फ मूकदर्शक बना रहेगा? जिन लोगों ने युवाओं की मेहनत से खेल किया, उन्हें सिर्फ गिरफ्तारी तक सीमित रख देना क्या न्याय है?
क्यों नहीं पूछी जा रही जिम्मेदारी उन अफसरों से, जिन्होंने इस केंद्र को स्वीकृति दी? क्यों नहीं हुई पहले से जांच जैमर के कवरेज की? क्यों नहीं हुई निगरानी हर कमरे की?
यह कहानी सिर्फ एक लीक पेपर की नहीं है, यह उन लाखों बेरोजगार युवाओं के सपनों की हत्या है, जो हर दिन परीक्षा की तैयारी करते हैं, उम्मीदों से भरकर।
कमरा नंबर 9 से निकला पेपर अब पूरे सिस्टम पर सवाल छोड़ गया है और अगर अब भी आंखें बंद रहीं, तो अगली बार शायद कमरा नंबर 9 की जगह कोई और नंबर होगा, लेकिन कहानी वही होगी।

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