

सेवानिवृत्ति से पहले आठ दिन की विदेश यात्रा में उड़ाए गए 60 लाख रुपये, अध्यन रिपोर्ट आज तक नदारद!
देहरादून: आज की ये खबर एक ऐसे रिसर्च टूर की है, जो उत्तराखंड की जनता के टैक्स के पैसों पर रचा गया और जिसके नतीजे आज तक किसी को नहीं मिले हैं।
कहानी शुरू होती है उत्तराखंड वन विकास निगम के तत्कालीन प्रबंध निदेशक जी एस पांडेय से जी हाँ, वही जी एस पांडेय जो 31 जुलाई 2025 को सेवानिवृत्त हो चुके हैं। लेकिन रुकिए सेवानिवृत्ति से सिर्फ तीन महीने पहले, इन्होंने एक अध्ययन यात्रा के नाम पर वियतनाम और कोलोम्बिया का टूर किया सरकार के पैसे से, यानी आपके पैसे से। यात्रा का उद्देश्य बताया गया विदेशों में लकड़ी से बनने वाले उत्पादों का अध्ययन करना, पेड़ों को संरक्षित करने के वैज्ञानिक तरीके सीखना, और कुछ ऐसा ज्ञान अर्जित करना जो उत्तराखंड के वनों को एक नई दिशा दे सके। सुनने में अच्छा लगता है। लेकिन हकीकत?
सूत्रों के अनुसार 1 अप्रैल से 8 अप्रैल 2025 तक की यह आठ दिन की यात्रा, रिसर्च कम और सैर-सपाटा ज्यादा निकली। दिल्ली के एक बिचौलिये के माध्यम से यह टूर तय किया गया। चार अन्य विशिष्ट लोग भी साथ गए। बताया जा रहा है कि 2 से ढाई घंटे की क्रूज़ राइड बुक की गई थी, लेकिन उसमें पूरा तीन दिन मस्ती की गई। और इसका बिल आया लाखों रुपये का, इतना ही नहीं पांडेय जी ने विभाग से इन 8 दिनों के टूर का दो सौ डालर प्रतिदिन के हिसाब से जेब खर्च के रूप में अतिरिक्त वसूला है।
जब एक अधिकारी के रिटायर होने में तीन महीने ही बचे हों, तो ऐसी महंगी रिसर्च यात्रा पर उन्हें विदेश भेजने का क्या औचित्य था? अगर रिसर्च हुई थी, तो अध्ययन रिपोर्ट आज तक क्यों नहीं सौंपी गई? क्या यह जनता के पैसों का दुरुपयोग नहीं है? उस प्रदेश में, जहाँ कई विभागों को तनख्वाह देने तक के पैसे नहीं हैं, वहाँ ऐसा विदेशी ऐशो-आराम किसकी मंज़ूरी से हुआ? कुल मिलाकर अध्ययन रिपोर्ट गायब है, जवाबदेही गायब है, लेकिन खर्च दिख रहा है पूरे 50 से 60 लाख रुपये का। ये पैसा आपका था, हमारा था, इस प्रदेश के मेहनतकश लोगों का था। और अब यह गायब हो चुका है, एक रिसर्च यात्रा की आड़ में। शायद कभी कोई आरटीआई डाली जाएगी। शायद कोई जांच बैठेगी। और शायद, हमेशा की तरह, कुछ नहीं होगा। क्योंकि सत्ता की चमक और नौकरशाही की चुप्पी, जब साथ आ जाए, तो रिपोर्ट भी सेवानिवृत्त हो जाती है। क्योंकि तीन महीने पहले रिटायर होने वाले अफसर ने 8 दिन का विदेशी टूर किया, और सरकार के खजाने को लगी 60 लाख की चपत और रिपोर्ट अब तक नदारद है।