-हाईकोर्ट में याचिका के निस्तारण के बाद छंटे संशय के बादल
-विश्वविद्यालयों ने नहीं किया समय सीमा का पालन
-कैलेंडर के मुताबिक 30 सितंबर तक करा लेने थे -चुनाव की महीनों से तैयारी में जुटे छात्र नेताओं में छाई मायूसी
नैनीताल। उत्तराखंड के राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में इस सत्र में छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे। इस खबर से उन सैकड़ों छात्र नेताओं में मायूसी है, जो पिछले कई महीनों से चुनावी तैयारी में चुटे थे। उत्तराखंड हाईकोर्ट में छात्रसंघ चुनावों को लेकर दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खंडपीठ ने राज्य सरकार के शासनादेश के आधार पर जनहित याचिका को निस्तारित कर दिया है। इस मामले में सरकार की तरफ से कहा गया कि उसने 23 अप्रैल 2024 को शासनादेश जारी कर कहा था कि 30 सितंबर तक छात्र संघ चुनाव हो जाने चाहिए, लेकिन विश्वविद्यालययों ने उस आदेश का अनुपालन नहीं किया। चूंकि चुनाव कराने की समय सीमा निकल चुकी है, इसलिए अब छात्र संघ का चुनाव कराना संभव नहीं है। इस जवाब के आधार पर कोर्ट ने जनहित याचिका निस्तारित कर दी।
मामले के अनुसार देहरादून निवासी समाजिक कार्यकर्ता महिपाल सिंह ने समाचार पत्रों में 25 अक्टूबर को राजकीय विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रसंघ चुनाव कराए जाने की खबर का संज्ञान लेते हुए उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि राज्य सरकार ने 23 अप्रैल 2024 को एक शैक्षणिक कैलेंडर जारी किया था। इसमें छात्रसंघ चुनाव 30 सितंबर 2024 तक कराने का निर्देश दिया गया था। इसके बावजूद विश्वविद्यालय प्रशासन ने समय पर चुनाव आयोजित नहीं किए और न ही शासन से दिशा-निर्देश प्राप्त किए। ये लिंगदोह समिति की सिफारिशों का उल्लंघन है. इससे छात्रों की पढ़ाई में असर पड़ रहा है। याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि सरकार अपने ही शासनादेश को लागू कराने में सफल नहीं हुई। लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट का उल्लंघन किया गया। छात्र संघ का चुनाव न कराना उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है। चाहे तो सरकार अपने आदेश को वापस लेकर छात्र संघ का चुनाव करा सकती है। हाईकोर्ट ने इस मामले में सरकार से जवाब मांगा था। सरकार ने इस पर उक्त जवाब दाखिल किया था। सरकार के जवाब के बाद 24 अक्टूबर को निर्धारित सुनवाई पर हाईकोर्ट ने याचिका का निस्तारण कर दिया। जिससे छात्रसंघ चुनावों पर संशय के बादल छंट गए और यह स्पष्ट हो गया कि प्रदेश में इस साल छात्रसंघ चुनाव नहीं होंगे। इस याचिका के निस्तारण से प्रदेश भर के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में चुनाव की तैयारियों में जुटे सैकड़ों छात्र नेताओं में निराशा छा गई। ये छात्र नेता सत्र के आरंभ से ही चुनाव की तैयारी में जुटे थे और इनमें से कई अब तक अपने प्रचार-प्रसार में भारी-भरकम खर्च भी कर चुके थे।
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