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राजेश सरकार

हल्द्वानी। बीमारों के इलाज की कोई डिग्री न होते हुए भी उनके पास हर मरीज इलाज का जुगाड़ है। कुछ तो असाध्य माने जाने वाले कैंसर तक का इलाज करने का कूबत का दावा करते है। सबसे अच्छा इलाज तो ये ताकत और बच्चा पैदा होने का करते है। कुछ का क्लीनिक तो टेंट में चल रहा है। ऐसा भी नहीं है कि स्वास्थ्य विभाग इनके बेखबर हो, स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लगातार कार्रवाही के बाद भी झोलाछाप तेजी से फल-फूल रहे है।

इन दिनों जबरदस्त सीजन

सर्दी के मौसम में ग्रामीण क्षेत्रों में ही नहीं शहर के पिछड़े इलाकों में हर मर्ज के इलाज के नाम पर दुकान खोलकर बैठे झोलाछापों का इन दिनों जबरदस्त सीजन चल रहा है।
गांव देहात के जिला इलाकों में या कहें सरकारी स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों तक जो नहीं पहुंच सकते, जानलेवा सर्दी के इस मौसम में उनके लिए झोलाछाप ही मुफीद साबित हो रहे है।

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इन बीमारियों के विशेषज्ञ

सर्दी के मौसम में बुखार, दाद-खाज और खुजली के अलावा सांस के गंभीर मरीजों ज्यादा होते है। ये झोलाछाप सभी का इलाज कर रहे है। झोलाछाप डॉक्टर भोले-भाले लोगों की जान से खिलवाड़ कर रहे है। स्वास्वथ्य विभाग के अधिकारियों एवं कुछ स्वास्थ्य कर्मियो की मिलीभगत से झोलाछापों ने क्लिनिक तक खोले हुए है।

सख्ती के है आदेश

इलाज क नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों पर शासन के कठोर कार्रवाही के निर्देश है। शासनादेशों के विपरीत अयोग्य, अनधिकृत, अपंजीकृत और मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया में पंजीकरण कराए बिना एलोपैथी, आयुर्वेदिक, होम्यापैथी और यूनानी चिकित्सा के माध्यम से बीमार लोगों का इलाज किया जाना गैरकानूनी है।

नोटिस और जेल का प्रावधान

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इलाज के नाम पर लोगों की जिंदगी से खिलवाड़ करने वाले झोलाछापों के खिलाफ नोटिस, उनके खिलाफ एफआईआर व जेल भेजे जाने तक का प्रावधान है। लेकिन इसके बाद भी जगह-जगह झोलाछापों का कारोबार तेजी से फैल रहा है। नोटिस जारी होने के बाद झोलाछाप को क्लीनिक बंद करना अनिवार्य होता है। ऐसा न करने पर सुसंगत धाराओं में एफआइआर दर्ज कराने का प्रविधान है।

खोखों में क्लीनिक

गांव गांव में झोलाछाप डॉक्टरों की भरमार है। चाय की गुमटियों जैसी दुकानों में झोलाछाप डॉक्टर मरीजों का इलाज कर रहे है। मरीज चाहे उल्टी, दस्त, खासी, बुखार से पीडित हो या फिर अन्य कोई बीमारी से। सभी बीमारियों का इलाज यह झोलाछाप डॉक्टर करने को तैयार हो जाते है। मरीज की हालत बिगड़ती है तो उसे आनन-फानन में एसटीएच रेफर कर दिया जाता है।

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