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हल्द्वानी: नया साल आ रहा है, नई उम्मीदें ला रहा है। बदलाव होंगे हर तरफ। राजनीति भी इससे कहां अछूती रहेगी। इन परिवर्तनों को यदि हल्द्वानी के दृष्टिकोण से देखें तो काफी कुछ बदलेगा। क्या बदलेगा मेयर का चेहरा? 21वीं सदी के 25वें साल में हल्द्वानी की राजनीति में क्या नई दिशा आएगी? नई धार बहेगी।
इन्हीं सभी सवालों के बीच हल्द्वानी में एक नया कौतूहल बना हुआ है। यहां हम बात कर रहे हैं हल्द्वानी के मेयर पद की। नव वर्ष में किस राजनैतिक दल का शख्स मेयर पद का ताज पहनेगा, यह अभी भविष्य के गर्भ में है। लेकिन वर्तमान में भाजपा में जो ऊहापोह की स्थिति चल रही है, वह किसी से छुपी नहीं है।
बीते दिनों तक मेयर पद के लिए तीन प्रमुख नामों में डॉ. जोगेंद्र पाल रोतेला, गजराज बिष्ट और प्रमोद तोलिया की चर्चा जोर-शोर से हो रही थी। लेकिन अचानक से जैसे हल्द्वानी का मौसम बदल गया और सुबह की बारिश ने ठंडक बढ़ा दी, ठीक वैसे ही एक चौथे व्यक्ति की एंट्री ने हल्द्वानी के राजनीतिक समीकरण को बदल कर रख दिया है।
चर्चा तो यहां तक है कि इस व्यक्ति ने सभी सरकारी विभागों से नो ड्यूज सर्टिफिकेट हासिल किए हैं और दो नामांकन पत्र भी खरीदकर इन चर्चाओं को और बल दे दिया है। कभी हल्द्वानी की विधायक और प्रदेश की सैकेंड मुख्यमंत्री मानी जाने वाली डॉ. इंदिरा हृदयेश के दायां हाथ रहे इस शख्स ने जब कांग्रेस को छोड़कर भाजपा का दामन थामा, तब से वह पार्टी के लिए निष्ठावान कार्यकर्ता के रूप में कार्य कर रहे हैं।
इस व्यक्ति का पार्टी के प्रति अटूट प्रेम ही कहेंगे कि उन्होंने भाजपा की मजबूती के लिए एक बड़े कांग्रेस नेता को भाजपा में लाने का श्रेय भी प्राप्त किया, हालांकि अब वह नेता कांग्रेस में वापस लौट चुके हैं।
पिछले नगर निगम चुनाव में इस व्यक्ति ने अपनी पत्नी (जो वर्तमान में भाजपा की सक्रिय कार्यकर्ता हैं और पूर्व में नगर पालिका अध्यक्ष रह चुकी हैं) के लिए पार्टी से टिकट मांगा था, लेकिन उन्हें टिकट नहीं मिला। इसके बाद जब इस व्यक्ति ने पर्वतीय क्षेत्र की एक विधानसभा सीट से पार्टी से अपने लिए टिकट मांगा, तो उन्हें निराशा हाथ लगी। फिर भी उन्होंने पार्टी के निर्णय को समझा और फिर से पार्टी की सेवा में लग गए।
अब यह देखना होगा कि हल्द्वानी के मेयर पद के लिए यह चौथा नाम राजनीति के इस नए मोड़ में क्या भूमिका निभाता है और क्या यह नयी दिशा पार्टी के लिए लाभकारी साबित होगी।