ख़बर शेयर करें -

उत्तराखंड भाजपा में जिलाध्यक्ष बनने की चुनौती: 60 वर्ष के ऊपर के नेताओं के अरमानों पर पानी

हल्द्वानी: भारतीय जनता पार्टी में इस समय संगठन चुनाव की प्रक्रिया जारी है और इसी बीच एक नई नीति ने कई नेताओं की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है। पार्टी ने यह तय किया है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के नेताओं को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। इस फरमान के बाद कई नेताओं का जिलाध्यक्ष बनने का सपना टूट गया है। अब पार्टी के भीतर यह चर्चा हो रही है कि कौन नेता इस पद के लिए योग्य है और कौन अब रिटायर हो चुका है।
भाजपा में जिलाध्यक्ष पद को लेकर एक कार्यकर्ता ने अपने नेता से हलके-फुलके अंदाज में उम्र पूछी और यह जानने की कोशिश की कि क्या उनके मन में जिलाध्यक्ष बनने का ख्याल है। कार्यकर्ता ने इसे एक चतुराई से पूछा कि क्या वह खुद इस पद के लिए इच्छुक हैं या नहीं। इस दौरान कार्यकर्ता ने यह भी कहा, “सीएम साहब आएंगे तो जिला अध्यक्ष जी तो उनकी गाड़ी में साथ जाएंगे और बगल में बैठेंगे,” जो कि जिला अध्यक्ष बनने का सबसे बड़ा लालच और फायदा बताया।
हालांकि, नेताजी ने अपनी उम्र का कोई हवाला नहीं दिया, लेकिन कार्यकर्ता ने कुछ अन्य नेताओं का नाम लिया जिन्होंने 60 वर्ष पार कर लिए हैं। नेताजी ने इस पर ठोस जवाब दिया और पार्टी के निर्णय को समर्थन देते हुए कहा कि 60 वर्ष से ऊपर के नेताओं को जिलाध्यक्ष बनाना बिल्कुल ठीक है और वह इस फैसले से पूरी तरह सहमत हैं।
भारतीय जनता पार्टी के संगठन चुनाव में यह फैसला है कि 60 वर्ष से अधिक उम्र के कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष नहीं बनाया जाएगा। यह नीति लागू होते ही कई नेताओं के अरमानों पर पानी फिर गया है। प्रदेश में वर्तमान जिला अध्यक्षों में से कई अपनी उम्र के अनुसार इस पद पर दोबारा काबिज होने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। कुछ नेता तो इस पद के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रहे हैं, यहां तक कि संगठन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ तक सिफारिशें पहुंच रही हैं।
कई जिलों में पूर्व जिलाध्यक्ष भी अपनी दूसरी बार ताजपोशी के प्रयास में लगे हुए हैं। लेकिन पार्टी ने जो 60 वर्ष से ऊपर की उम्र के लिए नीति बनाई है, उसके बाद कई जिलों में निर्णय चौंकाने वाले हो सकते हैं। इस नीति ने भारतीय जनता पार्टी में जिलाध्यक्ष पद के लिए नई बहस और चर्चाओं को जन्म दिया है।

Comments