हल्द्वानी। नैनीताल-उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर सभी उम्मीदवारों के नामों का ऐलान हो चुका है। नामांकन पत्र दाखिल हो चुके हैं, नाम वापसी का दौर भी खत्म हो गया है। यहां तक की प्रत्याशियों का प्रचार भी आज शाम तक थम जाएगा। इन सबके बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों के साथ ही शहरो में ‘सन्नाटा’ पसरा हुआ है। न तो चुनावी माहौल है न चुनावी समां। हद तो यह है कि कई शहरवासियों को इस चुनाव में खड़े सभी प्रत्याशियों के नाम तक नहीं पता है। इन सबके चलते ही उम्मीदवारों की धड़कनें तेज हैं। यदि मुख्य दल की बात करें तो भाजपा से अजय भट्ट व कांग्रेस से प्रकाश जोशी मुख्य प्रतिद्विन्दयों में है। मुकाबला इन्हीं दोनों के बीच में सिमट कर रह गया है। हांलाकि शहर के उम्रदराज लोग बताते हैं कि इस बार चूंकि किसी भी मुख्य दल से कोई मुस्लिम उम्मीदवार चुनाव के मैदान में नहीं है, इसलिए मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों से चुनावी रौनक पूरी तरह गायब देखी गई। बात अगर मुस्लिम समुदाय के महिला वोटों की करे तो यहाँ भाजपा के पक्ष में मुस्लिम महिलाओं का अधिकांश वोट इसलिए जाना तय माना जा रहा है क्योंकि मोदी द्वारा पूर्व में मुस्लिम महिलाओं के हक में तीन तलाक का कानून पास कर उनके हित में फैसला दिया गया था और उस समय मोदी के इस फैसले की मुस्लिम महिलाओं द्वारा जमकर तारीफ की गई थी। सम्भवत: पूर्व में लिए गए इसी फैसले का फायदा भाजपा को 19 अप्रैल को होने वाले मतदान में मिल सकता है। वहीं मुस्लिम पुरुष वोटों की बात करे तो यहाँ असमंजस की स्थिति देखने को मिल रही है। वैसे आज से पूर्व तक अधिकांश मुस्लिम पुरुष वोटों पर कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा है, परंतु मौजूदा समय में स्थिति पूर्व से भिन्न है। इसी के चलते मुस्लिम पुरुष मतदाता असमंजस की स्थिति में है, क्योंकि मौजूदा समय विधानसभा का चुनाव न होकर लोकसभा का चुनाव का है और जो एक बड़े फलक पर है जहां व्यक्तिगत जान-पहचान की बजाय मुद्दो के आधार पर मतदान किया जाता है।
मुस्लिम बस्तियों में एक दिन पहले तय होता है किसे देना है वोट
मुस्लिम बस्तियों को नापने के बाद यह पता चला कि यहां चुनावी सरगर्मियों की चाल यहाँ बेहद ही सुस्त थी। इन स्थानों पर न तो चुनावी नारे की गूंज देखी गई और न ही किसी तरह का कोई बड़ा चुनावी प्रचार। इस खामोशी ने उम्मीदवारों की धड़कनों को ऊपर नीचे कर रखा है। यहाँ के बुजुर्ग बताते हैं कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में मतदाता अपने मूड के हिसाब से नहीं, बल्कि चुनावी चाल देखकर मतदान करता है। इन क्षेत्रों में चुनावी चाल का पता मतदान से एक दिन पहले आम सहमति से तय किया जाता है। फिलहाल यहाँ के मतदाता का मूड भांपने में प्रत्याशियों को अभी और पसीने बहाना पड़ सकता है।