देहरादून। राज्य निगम कर्मचारी अधिकारी महासंघ की एक आपात बैठक आज मंगलवार को आयोजित की गयी। बैठक में मुख्य सचिव के साथ होने वाली चार बैठकों को स्थगित किये जाने पर आक्रोश जताया गया। महासंघ पदाधिकारियों ने बैठक स्थगित किये जाने को शासन की एक सोची समझी चाल बताया। बैठक में महासंघ के अध्यक्ष दिनेश गौसाई ने कहा कि शासन चार प्रतिशत महंगाई भत्ते का झुनझुना दिखाकर कर्मचारियों को भटकाने की कोशिश तो कर ही रहा है, साथ ही इसके आड़ में वह कर्मचारियों की समस्याओं को ठंडे बस्ते में डालने की फिराक में भी है। श्री गौसाई ने कहा कि आज पूरे प्रदेश में दैनिक/संविदा/विशेष श्रेणी/आउट सोर्स नासूर बन चुकी, बेरोजगारो की सामाजिक सुरक्षा के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। सार्वजनिक निगमो /निकायो/उपक्रमो में हजारो पद रिक्त पड़े हैं लेकिन उसके बाद भी दैनिक/संविदा/विशेष श्रेणी/आउटसोर्स के नाम से कर्मिकों से लगातार कार्य लिया जा रहा है लेकिन उनके नियमितीकरण पर शासन स्तर से हीलाहवाली की जा रही है। महासंघ के कार्यकारी अध्यक्ष दिनेश पन्त द्वारा कहा गया कि सार्वजनिक निगमो के कार्मिको के साथ शासन का रवैया सौतेला रहा है। मंहगाई भत्ता हो या सातवें वेतन आयोग के अनुसार मकान किराया भत्ता, हो या शिथिलीकरण का लाभ दिये बात रही हो किसी पर भी निर्णय नहीं किया जा रहा है। आज तक सार्वजनिक निगमो के कार्मिको को बिना आन्दोलन के शासन कुछ देने को तैयार नहीं है। जिसके चलते महासंघ को आन्दोलन के लिये बाध्य होना पड रहा है। महासंघ के उपाध्यक्ष मनमोहन चौधरी द्वारा कहा गया 2013 में नियमितीकरण हेतु बनी नियमावली को माननीय न्यायलय द्वारा हरी झंडी मिलने पश्चात शासन द्वारा मामले को लटकाया जा रहा है। महासंघ के महासचिव बी एस रावत ने कहा कि महासंघ की 30 सितम्बर को होने वाली विशाल रैली सार्वजनिक निगमो/निकायो/उपक्रमो/ के दैनिक वेतन/संविदा/विशेष श्रेणी/आउटसोर्स/पी टी सी/ उपनल पर लगातार कार्य करने वाले हजारो कार्मिको के भविष्य के साथ सामाजिक सुरक्षा की दिशा तय करेंगी। बैठक में दिनेश गौसाई, श्याम सिंह नेगी ,राजेश रमौला, ओ पी भट्ट, अनुराग नौटियाल, टी एस बिष्ट , शिशुपाल रावत, मनमोहन चौधरी बी एस रावत, संदीप मल्होत्रा, रमेश बिजौला, मुख्य रूप से उपस्थित थे।
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