

उत्तराखंड हाईकोर्ट का बड़ा आदेश, बिना पंजीकृत न नमाज़, न होगी पढ़ाई, हरिद्वार के कई अवैध मदरसों की सीलिंग पर हाईकोर्ट की सख्ती, शपथ पत्र देने का निर्देश
नैनीताल। उत्तराखंड में अवैध मदरसों के खिलाफ चल रही सरकार की मुहिम को मंगलवार को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट की एकलपीठ ने साफ कहा है कि जिन मदरसों को अब तक पंजीकरण नहीं मिला है, वे तब तक धार्मिक, शैक्षणिक और नमाज़ संबंधी कोई भी गतिविधि नहीं चलाएंगे जब तक उन्हें विधिवत सरकार से मान्यता नहीं मिल जाती।
यह सुनवाई न्यायमूर्ति रविन्द्र मैठाणी की एकलपीठ में हुई, जहां हरिद्वार जिले के कई मदरसों जामिया राजबिया फैजुल कुरान, मदरसा दारुल कुरान, मदरसा नुरूहुदा एजुकेश ट्रस्ट, मदरसा सिराजुल कुरान अरबिया रासदिया सोसाइटी और दारुलउलम सबरिया सिराजिया सोसाइटी द्वारा दायर जनहित याचिकाओं पर बहस हुई।
राज्य सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि इन मदरसों का कोई वैध पंजीकरण नहीं था और इसके बावजूद इनमें नियमित रूप से धार्मिक अनुष्ठान, शिक्षण कार्य और नमाज़ अदा की जा रही थी। प्रशासन ने इन्हें नियम विरुद्ध पाते हुए सील कर दिया। सरकार ने स्पष्ट किया कि केवल अवैध मदरसों के खिलाफ कार्रवाई की गई है। जिन मदरसों का पंजीकरण विधिवत है, उन्हें किसी प्रकार की असुविधा नहीं दी गई है और वे अनुदान भी प्राप्त कर रहे हैं।
हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता मदरसों को निर्देश दिया कि वे जिला माइनॉरिटी वेलफेयर अधिकारी के समक्ष शपथ पत्र दें, जिसमें यह उल्लेख होगा कि जब तक उन्हें वैध मान्यता नहीं मिलती, वे किसी प्रकार का धार्मिक या शैक्षणिक कार्य नहीं करेंगे। राज्य सरकार तय करेगी कि सील किए गए स्थलों का आगे क्या उपयोग होगा। तब तक मदरसे नहीं खोले जाएंगे।
मदरसों की ओर से कोर्ट में कहा गया कि उन्होंने पंजीकरण के लिए आवेदन कर रखा है, लेकिन संबंधित बोर्ड की बैठक न होने के कारण अब तक पंजीकरण नहीं हो पाया। ऐसे में प्रशासन द्वारा की गई सीलिंग जल्दबाज़ी में और नियमों के विपरीत है। याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से अपील की कि जब तक पंजीकरण की प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक मदरसों की सीलिंग हटाई जाए।
उत्तराखंड सरकार ने इन दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि जब तक मदरसे पंजीकृत नहीं होते, तब तक उन्हें किसी भी रूप में संचालित नहीं किया जा सकता। सरकार ने हाईकोर्ट को यह भी बताया कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के निर्देशानुसार अवैध मदरसों और उनकी फंडिंग की जांच भी जारी है। सीएम धामी पहले ही स्पष्ट कर चुके हैं कि राज्य में अतिक्रमण और अवैध धार्मिक संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई जारी रहेगी।
इस बीच कांग्रेस ने सरकार की कार्रवाई को एकतरफा करार देते हुए आरोप लगाया कि भाजपा सरकार सिर्फ सुर्खियों में बने रहने के लिए इस तरह के कदम उठा रही है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि धार्मिक संस्थाओं को निशाना बनाना राजनीति प्रेरित कदम है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट का यह फैसला साफ संकेत देता है कि राज्य में अब किसी भी धार्मिक संस्थान को बिना वैध पंजीकरण के चलने की अनुमति नहीं दी जाएगी। सरकार और प्रशासन की इस कार्रवाई को न्यायिक मुहर मिलने से प्रदेश में कानून व्यवस्था और पारदर्शिता को मजबूती मिलेगी।