

नेपाल और अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क की जांच तेज
चंपावत/टनकपुर: आपको लगता है कि इस देश में कुछ नहीं हो रहा, लेकिन हकीकत में कई ईमानदार लोग अपने हिस्से की लड़ाई चुपचाप लड़ रहे हैं। आज हम बात कर रहे हैं उत्तराखंड की उस पुलिस टीम की, जिसने 10 करोड़ की नशे की खेप को न सिर्फ जब्त किया, बल्कि नशा मुक्त देवभूमि के संकल्प को सच्चे अर्थों में मजबूत किया। देहरादून नहीं, दिल्ली नहीं, आज नज़र डालते हैं टनकपुर और चंपावत की ओर। यहां कुमायूँ परिक्षेत्र की तेजतर्रार आईजी रिद्धिम अग्रवाल के नेतृत्व में पुलिस ने वो काम कर दिखाया जो अक्सर हम वेब सीरीज में ही देख पाते हैं। शनिवार सुबह जब देश के बाकी हिस्सों में लोग सुबह की चाय के साथ अखबार पलट रहे थे, ठीक उसी वक्त चंपावत और पिथौरागढ़ की संयुक्त पुलिस टीम गढ़ीगोठ पुल के पास तड़के 5:45 बजे एक महिला को रोके जाने की तैयारी कर रही थी। ये महिला अकेले नहीं थी, बल्कि उसके कंधों पर एक पूरा ड्रग्स सिंडिकेट छिपा हुआ था। आरोपी का नाम है ईशा उम्र 22 वर्ष, ये महिला ड्रग्स से भरा बैग लेकर शारदा नहर की ओर जा रही थी मंशा साफ थी माल को ठिकाने लगाना। लेकिन पुलिस ने वक़्त पर उसकी चाल को पढ़ लिया। बैग से 5.688 किलो एमडीएमए यानी मौली या एक्स्टसी जैसे खतरनाक ड्रग्स बरामद हुए। बाजार में कीमत 10 करोड़ 23 लाख 84 हजार रुपये आंकी गई है। अब सवाल ये नहीं कि पुलिस ने ये कैसे पकड़ा। असली सवाल ये है कि ये ड्रग्स कहाँ से आया और कौन चला रहा है यह रैकेट?
ईशा के बयान से खुलासा हुआ कि ये ड्रग्स उसके पति राहुल कुमार और टनकपुर निवासी कुनाल कोहली ने उसे सौंपे थे। और जानिए, ये दोनों मुंबई के ठाणे में एनडीपीएस केस में वांछित हैं। यानी मामला छोटा नहीं, सीधा माफिया लिंक की ओर इशारा करता है। पूरे घटनाक्रम को सीओ वंदना वर्मा, एसओजी प्रभारी लक्ष्मण सिंह जगवाण और एसओ सुरेंद्र सिंह कोरंगा की टीम ने अंजाम दिया। और यह कोई संयोग नहीं, बल्कि नतीजा था उस सतर्कता का, जो मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के ‘नशा मुक्त देवभूमि’ के संकल्प से उपजी है। अब सवाल उठता है कि ड्रग्स पिथौरागढ़ पहुंचा कैसे? पुलिस कहती है कि यह एक ड्रग लैब नेटवर्क का हिस्सा है, जिसका सिरा नेपाल और नाइजीरियाई नेटवर्क से भी जुड़ सकता है। यानी अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की संभावना प्रबल है।
पुलिस ने ईशा के खिलाफ एनडीपीएस एक्ट की धारा 8/21/22 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं फरार राहुल और कुनाल की तलाश जोरों पर है।

आईजी रिद्धिम अग्रवाल ने 14 सदस्यीय इस टीम को बीस हजार रुपये का नगद पुरस्कार देकर सम्मानित किया और कहा कि यह हमारी जीरो टॉलरेंस नीति का प्रमाण है। देवभूमि को नशे से मुक्त करना केवल एक नारा नहीं, हमारा संकल्प है। टीम में शामिल नायकों के नाम याद रखिए य़ह है वंदना वर्मा, लक्ष्मण सिंह जगवाण, सुरेंद्र कोरंगा, सोनू सिंह, गणेश सिंह बिष्ट, संजय शर्मा, नासिर, उमेश राज, सूरज कुमार, कुलदीप सिंह, मदन सिंह, जगदीश कन्याल, राकेश्वरी राणा, प्रकाश पांडे और कांस्टेबल कमल।
जब अगली बार आप यह सोचें कि कोई कुछ नहीं करता, तो उत्तराखंड पुलिस की इस टीम को याद करिएगा। ये वो लोग हैं जो मौन रहकर मैदान में मोर्चा लेते हैं, ताकि हमारी देवभूमि, वास्तव में देवभूमि बनी रहे।