

उत्तरकाशी: धरती हिलती नहीं दिखी, पर जीवन हिल गया। आसमान गरजा नहीं, लेकिन चीखें सुनाई दीं। उत्तरकाशी के धराली गांव में खीरगंगा नदी मौत बनकर उतरी।
उत्तरकाशी जनपद के धराली गांव में बादल फटने की खबर आई। खीरगंगा नदी, जो कभी जीवनदायिनी थी, आज जीवन हरने वाली बन गई। नदी में अचानक आई भयंकर बाढ़ ने गांव की रफ्तार ही नहीं, उम्मीदें भी बहा दीं।
बाढ़ का पानी कई होटलों, दुकानों और घरों में घुस आया। सिर्फ पानी नहीं आया, मलबा भी आया। और इसी मलबे में दब गईं कई जिंदगियां। अभी तक 7 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। मंगलवार अपराह्न बाद ‘भागो-भागो!’ ये आवाजें गूंज रही थीं, लेकिन खीरगंगा के शोर में कहीं खो गईं। लोगों को संभलने का मौका तक नहीं मिला। बाजार से ऊपर खड़े लोग चीखते रहे, नीचे बाढ़ सब कुछ लीलती रही। जहां कुछ घंटे पहले धराली मार्केट की चहल-पहल थी, वहां अब सिर्फ मलबा है, सन्नाटा है।
स्थानीय लोगों के मुताबिक, 25 से अधिक होटल और होमस्टे पूरी तरह बर्बाद हो चुके हैं। गंगोत्री धाम का प्रमुख पड़ाव धराली, अब राहत शिविर बनने की ओर बढ़ रहा है।
हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि सेना तक को राहत कार्य में उतारना पड़ा है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ की टीमों को मौके पर भेजा गया है। हर्षिल से आर्मी की टुकड़ियां रवाना की गई हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा मुझे उत्तरकाशी की आपदा की जानकारी मिल गई है। हम लोगों को बचाने के लिए काम कर रहे हैं। जिला प्रशासन, सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ युद्धस्तर पर राहत-बचाव कार्य में जुटे हैं।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी फोन पर सीएम धामी से बात की और स्थिति की जानकारी ली।
गंगोत्री विधायक सुरेश चौहान ने जानकारी दी कि बादल फटने की सूचना मुखबा गांव से मिली थी। उन्होंने तुरंत मुख्यमंत्री को सूचित किया। जिलाधिकारी मौके के लिए रवाना हो चुके हैं। गढ़वाल कमिश्नर और चीफ सेक्रेटरी को भी अलर्ट कर दिया गया है।
उत्तरकाशी की इस त्रासदी को देखकर यही कहा जा सकता है कि ये सिर्फ एक खबर नहीं, एक चेतावनी है। हिमालय बदल रहा है, और उसका गुस्सा अब दिखने लगा है। जब प्रकृति बदली, तो हमने ध्यान नहीं दिया। अब वो हमें बदल रही है किसी मलबे में दबाकर, किसी बाढ़ में बहाकर।