रूद्रपुर में पत्रकार से अभद्रता के प्रकरण ने पकड़ा तूल
हल्द्वानी। सूबे के मुखिया पुष्कर सिंह धामी भले ही पत्रकारों के हित में भविष्य में तमाम योजनायें लागू करने का ऐलान कर रहे हो, लेकिन उनके सोच के ठीक विपरीत सूबे की मित्र पुलिस पत्रकारों के साथ द्वेष भावना से कार्य करने से नहीं चूक रही है। आये दिन पुलिस के पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार के किस्से मीड़िया की सुर्खियां बने रहते है। अब प्रदेश की मित्र पुलिस लोकतन्त्र के चौथे स्तंभ को आहत कर क्या सिद्ध करना चाहती है यह तो वहीं जाने लेकिन उसके ये कार्य उसके मित्र पुलिस के सूत्र वाक्य को झूठलाते नजर आते है। पत्रकार के किसी समाचार से यदि पुलिस इत्तफाक नहीं रखती तो वर्दी की हनक में पत्रकार के उपर मुकदमा लादना वह अपने बाये हाथ का खेल समझती है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में यह स्पष्ठ किया है कि किसी भी पत्रकार को खबर लिखने से रोका नहीं जा सकता है। उत्तराखंड की मित्र पुलिस क्या पत्रकारों को वर्दी का रौब दिखाकर यदि डराने की मंशा रखती है तो उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि कलम कट तो सकती है पर झुक नहीं सकती और यही पत्रकारिता का मूल सिद्धांत भी है।
कोतवाल के खिलाफ पत्रकार मुखर
रूद्रपुर कोतवाली में तैनात कोतवाल के खिलाफ पत्रकारों ने मोर्चा खोल दिया है। पत्रकारों का आरोप है कि रूद्रपुर से निकलने वाले एक साध्य दैनिक समाचार पत्र के रिपोर्टर दीपक शर्मा से कोतवाल मनोहर दसौनी ने उस समय अभद्रता कर दी जब वह रुद्रपुर कोतवाली में आये एक फरयादी को साईबर क्राईम ऑफिस का पता बता रहे थे। आरोप है कि इस दौरान कोतवाल ने न सिर्फ दीपक को बूरी तरह धमकाया बल्कि यह तक कह दिया कि तुम सारी मीडिया को यहां बुला लो इसके बाद भी मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। इधर पत्रकार प्रेस परिषद इन्डिया के कुमाऊं मंड़ल प्रभारी अशोक गुलाटी के नेतृत्व में पत्रकारों ने शनिवार को अपर जिलाधिकारी अशोक जोशी को मुख्यमंत्री को सम्बोधित एक ज्ञापन प्रेषित करते हुए कोतवाल को तत्काल रूद्रपुर कोतवाली से हटाने की मांग की है। अपर जिलाधिकारी को ज्ञापन देने वालों में पत्रकार अशोक गुलाटी के साथ दीपक शर्मा, चन्दन बंगारी, केपी गंगवार, सौरभ गंगवार, अर्जुन कुमार, कमल श्रीवास्तव, प्रमोद डीगरा, जगदीश चन्द्र, अजय जोशी, मनोज कुमार आर्य, सूरज राजपूत, सूरेन्द्र गिरधर, केवल कृष्ण बत्रा सहित दजनों पत्रकार शामिल थे।