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पत्रकारों ने डीआईजी कुमाऊँ को सौंपा ज्ञापन, की कार्यवाई की मांग

हल्द्वानी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भले ही पत्रकारों के हित में भविष्य में तमाम योजनायें लागू करने का ऐलान कर रहे हो, लेकिन उनके सोच के ठीक विपरीत जनपद नैनीताल की मित्र पुलिस पत्रकारों के साथ द्वेष भावना से कार्य करने से नहीं चूक रही है। आये दिन पुलिस के पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार के किस्से मीडिया की सुर्खियां बन रहे है। अब जनपद नैनीताल की मित्र पुलिस लोकतन्त्र के चौथे स्तंभ को आहत कर क्या सिद्ध करना चाहती है यह तो वहीं जाने लेकिन उसके ये कार्य मित्र पुलिस के सूत्र वाक्य को झूठलाते नजर आते है। पत्रकार के किसी समाचार से यदि पुलिस इत्तफाक नहीं रखती तो वर्दी की हनक में पत्रकार के उपर मुकदमा लादना वह अपने बाये हाथ का खेल समझती है। जबकि सर्वोच्च न्यायालय ने भी अपने एक आदेश में यह स्पष्ठ किया है कि किसी भी पत्रकार को खबर लिखने से नहीं रोका जा सकता है। जनपद नैनीताल की मित्र पुलिस क्या पत्रकारों को वर्दी का रौब दिखाकर यदि डराने की मंशा रखती है तो उसे यह ध्यान रखना चाहिए कि कलम कट तो सकती है पर झुक नहीं सकती और यही पत्रकारिता का मूल सिद्धांत भी है।
हालिया मामला जनपद नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक प्रह्लाद नारायण मीणा से जुड़ा हुआ है। एसएसपी पर आरोप है कि उन्होंने कुछ पत्रकारों को अनावश्यक नोटिस देकर पत्रकारों में भय का माहौल व्याप्त करने का कार्य किया है। पत्रकारों ने आज एसएसपी के द्वारा की गई इस कार्यवाई के खिलाफ डीआईजी कुमाऊँ से मिलकर उन्हें एक ज्ञापन देते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के खिलाफ कार्यवाई किए जाने की मांग की। डीआईजी को सौपे ज्ञापन में कहा गया है कि पिछले लंबे समय से जनपद नैनीताल के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक लोकतंत्र के चौथे स्तंभ कहे जाने वाले पत्रकारों पर अनावश्यक दबाव बनाने का प्रयास कर रहे है। उन्होंने डीआईजी को ताजा घटनाक्रम से अवगत कराते हुए बताया कि विगत 12 अगस्त को एक क्राइम के समाचार के सम्बन्ध जब पत्रकारों ने सम्बन्धित अधिकारियों से वर्जन लेना चाहा तो कोई प्रतिक्रिया न मिलने पर पत्रकारों ने अपने मीडिया ग्रुप में कुछ सामान्य सी बातें लिखी, जिसपर वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक द्वारा उक्त पत्रकारों को अनावश्यक नोटिस जारी कर दिए गए, जिसे मीडिया की स्वतंत्रता पर कड़ा प्रहार ही कहा जाएगा। उनका कहना था कि पत्रकारों के ऊपर इस तरह की दमनकारी नीति न्याय संगत नहीं है, इस घटना का प्रदेश के समस्त पत्रकार एक स्वर में निंदा करते है। कहा कि यदि वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक के इस कृत्य के खिलाफ कार्यवाई अमल में नहीं लायी गई तो समस्त पत्रकार उग्र आंदोलन करने को बाध्य होंगे। जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी। डीआईजी कुमाऊँ को ज्ञापन देने वाले पत्रकारों में चंद्रेश पांडे, अंकुर शर्मा, हरीश पांडे, शैलेंद्र नेगी, योगेश शर्मा, गीतेश त्रिपाठी, दिनेश पांडे, हर्ष रावत, अमित चौधरी, अंकित साह, भावनाथ पंडित, राहुल दरमवाल, अजहर सिद्दीकी, दीपक अधिकारी, ऋषि कपूर, श्रुति तिवारी, वंदना आर्य, नेहा पाल, रक्षित टंडन, अरकम सिद्दीकी सहित दर्जनों पत्रकार उपस्थित थे।

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