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पिथौरागढ़। उत्तराखंड बचाओ संघर्ष समिति ने तहसील बेरीनाग के मनगढ़ में हुई घटना के साथ-साथ बेरीनाग तथा गंगोलीहाट तहसील के 11 खड़िया खनन माइंस की हाईकोर्ट के सिटिंग जज की निगरानी में जांच करने की मांग की। उन्होंने शनिवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री को इस आशय का पत्र ईमेल से भेजा। उन्होंने कहा कि है गैर वैज्ञानिक तरीके से खडिया खनन हो रहा है। खनन के लाइसेंस भी मानकों के खिलाफ चाकलेट की तरह बांटे जा रहे है। समिति के राज्य संयोजक तथा मुनस्यारी के जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने राज्य के मुख्यमंत्री को प्रेषित पत्र में कहा कि गंगोलीहाट तथा बेरीनाग का क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टि से कमजोर क्षेत्र के अंतर्गत आता है। यहां पहले भी आपदा की घटनाएं घटी हुई है। चंद लोगो द्वारा अपने निज लाभ के लिए इन क्षेत्रों को खनन का अड्डा बनाया जा रहा है मनगढ़ तो आज एक छोटी सी घटना है। कल पहाड़ के गांव में कितने और भयावह मनगढ़ बनेंगे इसका अंदाजा सरकार को नहीं है। उन्होंने कहा कि बेरीनाग तथा गंगोलीहाट तहसील क्षेत्र में 11 खनन के पट्टे चल रहे है। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस तथा तहसील प्रशासन की ओर से समय-समय पर इन खनन क्षेत्र की निष्पक्ष निगरानी नहीं की जाती है। उसी का परिणाम है कि मशीनों के द्वारा खनन किया जा रहा है। खनन के बाद गड्ढे नहीं भरे जाते है। बरसात में गढ़ों में पानी भर रहा है और गांव और घर बह रहे है। उन्होंने कहा कि पंचायत से लेकर विधानसभा और लोकसभा की प्रतिनिधियों को अगर इन गांव की चिंता होती तो आज हमारे सामने मनगढ़ जैसी घटना नहीं घटती। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड को इन सब घटनाओं से बचाने के लिए उत्तराखंड की जनता को अब राज्य आंदोलन की तरह सड़क में आना होगा। उन्होंने कहा कि शीघ्र ही बेरीनाग में अवैज्ञानिक तरीके से संचालित माइंसों के खिलाफ महापंचायत आयोजित की जाएगी।

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