–चार धाम यात्रा में हर साल बढ़ रही वाहनों की संख्या
– उच्च हिमालय की एयर क्वालिटी हो रही खराब
– उच्च हिमालय के ग्लेशियरों पर भी पड़ रहा असर
हल्द्वानी: मंगलवार को कुमाऊं मंडल के कैंची धाम जाने के लिए कारों की इतना लंबा जाम था कि हल्दवानी से कैंची तक जाने में श्रद्धालुओं को आठ घंटे तक लग गए। इतने लंबे जाम की वजह यह थी कि हर व्यक्ति अपनी निजी कार में सवार था। उत्तराखंड के तीर्थों और धर्मस्थलों तक पहुंचने के लिए निजी वाहनों के इस्तेमाल का यह सिलसिला इतना बढ़ता जा रहा है कि इनके बोझ और शोर से हिमालय थर्राने लगा है। वाहनों की सबसे ज्यादा तादाद चार धाम यात्रा में बढ़ी है। हालांकि जिस रफ्तार में वाहन बढ़े हैं, उस अनुपात में तीर्थयात्रियों की संख्या नहीं बढ़ी है। चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में हर साल बढ़ोतरी हो रही है। हालांकि, पिछले साल के सबक से इस साल सरकार द्वारा लगाई गई पाबंदियों और केदारनाथ आपदा की वजह से साल 2023 का आंकड़ा पार नहीं हो सका है, लेकिन चारधाम की यात्रा पर आने वाले वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इस साल 31 अक्टूबर तक 5,18,626 वाहनों ने चार धाम यात्रा मार्ग की चढ़ाई मापी है।
कोरोना महामारी के दौर के बाद चारधाम में आने वाले वाहनों की संख्या में निरंतर बढ़ोतरी दर्ज की गई है। कोरोना के भय से उसके बाद लोगों ने शेयरिंग वाहनों का इस्तेमाल काफी कम कर दिया। लिहाजा चारधाम की यात्रा पर आने वाले लोग शेयरिंग वाहनों जैसे बस, टैक्सी की जगह अपने वाहन या बुकिंग वाहनों को तरजीह देने लगे। धीरे-धीरे सब ऐसा ही करने लगे और साल 2023 में चारधाम यात्रा में 5,68,459 वाहन पहुंचे। वहीं 2024 में 31 अक्टूबर तक 5,18,626 वाहन पहुंच चुके हैं।आजादी से पहले तीर्थयात्री ऋषिकेश से आगे पैदल यात्रा कर इन धामों तक पहुंचते थे। रास्ते में जगह-जगह इन तीर्थ यात्रियों के ठहरने के लिए चट्टी होती थी, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार भी थीं। धीरे-धीरे सड़क आगे सरकती रही और लोग बसों में सवार होकर आगे बढ़ते रहे। 1968 में बद्रीनाथ तक पहली बस पहुंची। इसके बाद अन्य धामों तक भी बसें पहुंचने लगी और बस से शुरू हुआ यह सुविधाजनक सफऱ आज इस मुकाम तक आ पहुंच गया कि हिमालय के लिए खतरे की घंटी बजने लगी। उच्च हिमालय में बड़ी संख्या में लगातार पहुंच रहे वाहन न सिर्फ उच्च हिमालय के एयर क्वालिटी को खराब कर रहे हैं, बल्कि इसका असर उच्च हिमालय क्षेत्र पर मौजूद ग्लेशियर पर भी पड़ रहा है। वैज्ञानिक पहले ही इस बात पर जोर दे चुके हैं कि उच्च हिमालय क्षेत्र तक वाहनों की आवाजाही भविष्य के लिहाज से ठीक नहीं है। इसे देखते हुए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड भी हिमालय क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को कम करने पर जोर दे रहा है।
वर्ष 2024 का वाहन आंकड़ा
31 अक्टूबर तक चारधाम यात्रा के लिए 5,18,626 वाहन पहुँच चुके हैं। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के अनुसार, अब तक बद्रीनाथ में 1,46,113, केदारनाथ में 1,86,901, गंगोत्री में 87,634, यमुनोत्री में 72,041 और हेमकुंड साहिब में 25,937 वाहन पहुंच चुके हैं।
वाहनों का ऐतिहासिक आंकड़ा
1968 में पहली बार बद्रीनाथ में बस पहुँची थी, जब प्रत्येक यात्रा सीजन में लगभग 60,000 लोग यात्रा करते थे। 1969 में गंगोत्री तक मोटर मार्ग और 1987 में भैरों घाटी पुल बनने के बाद यात्रा में अचानक वृद्धि हुई।
2023 में चारधाम यात्रा में आए वाहनों ने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दिए थे। पिछले वर्ष बद्रीनाथ में 2,39,550, केदारनाथ में 99,182, गंगोत्री में 95,238, यमुनोत्री में 75,453 और हेमकुंड साहिब में 59,036 वाहन पहुंचे थे।