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शिकायतों के अंबार के बाद केन्द्र सरकार के कदम से जागी अभिभावकों की उम्मीद 

राजेश सरकार

हल्द्वानी। कानून की नजर में जुआ आज भी सैकड़ों साल पुरानी परम्पराओं पर खेला जाए, तो ही जुए के दायरे में आता है। इसको लेकर तमाम जुआ खेलने के नए साधन और मोबाईल    ऐप्स आ गई हो, लेकिन जुआ रोकने के लिए जो कानून सैकड़ों साल पहले अँग्रेजी हुकुमत के समय बनाया गया था, आज भी वहीं काम कर रहा है। हालाकि इन दिनों केंद्र सरकार ने निरन्तर मिल रही शिकायतों के चलते इस दिशा मे काम शुरू किया है, जिससे उन अभिभावकों में उम्मीद की किरण जागी है, जो आनलाईन गेम खेलकर समय और धन बर्बाद करने वाले अपने पालकों के व्यवहार से आजिज आ चुके है। अंग्रजी हुकुमत ने सैकड़ों साल पहले सार्वजनिक जुआ अधिनियम- 1867 बनाया था। इस कानून के तहत जुआ घर चलाने, इसे चलाने में किसी का सहयोग करने, जुए में पैसा लगाने और जुआ उपकरण रखने आदि को अपराध के दायरे में रखा था। आज भी जुए के नाम पर पुलिस के स्तर से की जाने वालीं कार्यवाई के दौरान दो प्रकार के पकड़े जुआरी दिखाये जाते है। जिसमें एक सार्वजनिक स्थल पर सट्टे की खाईबाड़ी करने-कराने वाले लोग होते हैं। जिनके कब्जे से चन्द रुपये और कागज पर लिखे नंबर की पर्चियां बरामद की जाती हैं। इसके अलावा ताश की गड्डी और कुछ रुपयों की बरामदगी के ताश के जरिये जुआं खेल रहे थे। अभी कुछ साल पहले से इसमें एक और माध्यम को पुलिस कार्रवाई का हिस्सा बनाया गया है। जिसमें खास तौर पर आईपीएल जैसे पर बातचीत रिकॉर्ड करने और उसमें लगाई जाने वाली राशि को जुएं की श्रेणी में रखकर गिरफ्तारी की जाती हैं। इन तमाम गैम्बलिंग के साथ-साथ मोबाइल के इस दौर फिल्मी सितारों से लेकर जाने-माने खिलाड़ी तक किसी न किसी ऐप को प्रमोट करते दिख जाते है। जिसमें ऑनलाइन गेम्स खेलकर लाखों-करोड़ों की रकम कुछ ही घंटों में उनके खेलने पर जीत लेने के लिए प्रेरित किया जाता है। इस प्रकार के गेम्स भले ही गैम्बलिंग की श्रेणी में अभी तक न रखे जा सके हों, लेकिन मीडिया में आए दिन आने वाली रिपोर्ट साफ इशारा करती हैं, कि देश के विभिन्न हिस्सों में खासकर किशोरों और नवयुवकों ने अपने अभिभावकों की गाढ़ी कमाई को ऐसे गेम्स में उड़ा दिया है। और पकड़े जाने के डर से अपनी ही जान से हाथ भी धो लिया है। ऐसे अनेक उदाहरण इंटरनेट पर सर्च करने के दौरान मिल जाते हैं। यह मामला इतना गंभीर हो चला है, कि इसको लेकर दिसंबर 2021 में राज्यसभा के भीतर भारतीय जनता पार्टी के सांसद सुशील कुमार मोदी ने भी भारत में ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर हो रहे गैम्बलिंग को रोकने के लिए कानून बनाने की माग रखी थी। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि ऑनलाइन गेमिंग के लिए नियम का एक व्यापक ढांचा बनाया जाए।

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ऐसे चलती है आनलाईन गैम्बलिंग

ऑनलाइन जुएं या गैम्बलिंग का मतलब आम तौर पर दांव लगाने और पैसे कमाने के लिए इंटरनेट का उपयोग होता है। यह एक कैसीनो की तरह ही है, लेकिन फर्क बस इतना है कि ये वर्चुअल तरीके से खेला जाता है। इसमें पोकर, स्पोर्ट गेम, कैसिनो गेम आदि शामिल हैं। यूजर्स ऑनलाइन पेमेंट मोड जैसे क्रेडिट, डेबिट कार्ड, इंटरनेट बैंकिंग या यूपीआई के जरिये दाव लगाते हैं। ऑनलाइन गेमिंग और ऑनलाइन गैम्बलिंग के बीच एक बहुत बारीक सी लकीर है। मल्टीप्लेयर गेमिंग के जरिये खिलाड़ी अपने दोस्तों के साथ अच्छा टाइम पास कर सकते हैं। जबकि जुएं में एक-दूसरे के खिलाफ पैसे का दांव लगाया जाता है और खिलाड़ियों के बीच पैसों का लेन देन होता है। ऑनलाइन गैम्बलिंग के लिए यूजर्स को पहले पैसों की शर्त लगाना और धनराशि को संबंधित अकाउंट में जमा कराना जरूरी होता है।

जोड़े जा सकते हैं नए नियम

ऑनलाइन गेम के खिलाफ बढ़ती शिकायतों को देखते हुए केंद्र सरकार सख्त कदम उठाने की तैयारी कर रही है। एजेंसी की खबरों के अनुसार केंद्रीय मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने बताया कि सरकार ने ऑनलाइन गेम के खिलाफ ब्लू प्रिंट तैयार किया है। इसमें नए नियमों को जोड़ा जाएगा उन्होंने बताया कि देश में सट्टेबाजी वाले गेम, लत लगने वाले गेम और देश की सुरक्षा और लोगों को नुकसान पहुंचाने वाले गेम पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। ऐसे में यही उम्मीद की जा रही है कि सरकार आने वाले दिनों में ऑनलाइन गेमिंग से जुड़ा बड़ा ऐलान कर सकती है।

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पहले भी लाया जा चुका है बिल

इंटरनेट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार पिछले साल अप्रैल में कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने ऑनलाइन गेमिंग (रेगुलेशन) बिल 2022 पेश करते हुए अवगत कराया कि भारत में साल 2022 में लगभग 42 करोड़ सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स हैं। साल 2021 में लगभग 390 मिलियन सक्रिय ऑनलाइन गेमर्स दर्ज किए गए थे। वहीं 2020 में 360 और 2019 में 300 मिलियन गेमर्स दर्ज किए गए। भारतीय ऑनलाइन गेमिंग क्षेत्र हर साल करीब 30 प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है। इसी बिल में बताया गया कि यह इंडस्ट्री साल 2025 तक पांच बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी।

एसआरओ की अनुमति जरूरी है आनलाईन गेमिंग के लिए 

आनलाईन गेम्स के लिए जो भी नियम है, उसके अनुसार गेम डवलपर को गेम रिलीज करने के लिए एसआरओ की अनुमति लेनी होगी। साथ ही गूगल प्ले स्टोर और ऐप स्टोर दोनों को सुनिश्चित करना होगा कि उन गेम्स को प्लेट फार्म पर जगह न दी जाए, जिनसे लोगों को नुकसान पहुच सकता है। उन गेम्स का प्रमोशन नहीं किया जाएगा, जिन्हें एसआरओ से परमिशन नहीं मिली है। यही नहीं गेमिंग प्लेटफार्म पर सरकार से जुड़ी गलत जानकारी पब्लिश की जाती है, तो उनके खिलाफ सख्त कार्यवाई की जाएगी।

अवैध सट्टे को लेकर अभियान छेड़ा गया है, आनलाईन खेले जा रहे सट्टे की शिकायत आने पर कानूनी कार्यवाई अम्ल में लायी जायेगी।

                               हरवंश सिंह 

                        एसपी सिटी, हल्द्वानी

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