ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी: हीमोफिलिया जागरूकता को लेकर उपजिला अस्पताल हल्द्वानी और रूद्रपुर के चिकित्सा अधिकारियों ने संयुक्त रूप से एक कार्यशाला का आयोजन किया। इस दौरान नोडल ऑफ़िसर डॉ. एस एस बिष्ट, पी.एम.एस. डॉ. के के पांडेय, डॉ. बृजेश बिष्ट, डॉ. नीरज त्रिपाठी, डॉ विजय जोशी, डॉ एम. एस. रावत सहित कई चिकित्सक शामिल हुए।
बता दे कि उपजिला अस्पताल हल्द्वानी और रूद्रपुर के चिकित्सक बीते कई वर्षों से हीमोफिलिया से पीड़ित मरिज़ो का इलाज करने के साथ ही उन्हें जागरूक करने का पुनीत कार्य कर रहे है। गौरतलब है कि हीमोफिलिया में पीड़ित व्यक्ति को रक्तस्राव की समस्या बनी रहती है, इस लिए ऐसे मरीजों को बार-बार फ़ैक्टर देने की आवश्यकता पड़ती है। कार्यक्रम में आसाम मेडिकल कॉलेज एण्ड अस्पताल के एसोसियेट प्रोफेसर डॉ अनुपम दत्ता ने हीमोफिलिया के विषय में और अधिक जानकारी देते हुए बताया कि नॉन फैक्टर थैरपी (Emicizumab) जो की हेमीफिलिया ए पीड़ितो के लिये है, इससे अधिकाशं मरीजों को न सिर्फ लाभ हुआ है बल्कि इनके शून्य रक्तश्राव के परिणाम देखने को मिले है। उन्होंने बताया कि एक हेमफ़िलिया ए से पीड़ित मरीज़ को प्रत्येक माह में एक बार सब्क्यूटेनियस इंजेक्शन लगाने की आवश्यकता पड़ती है।

यह भी पढ़ें 👉  हरक सिंह रावत का दीपावली धमाका

क्या है हीमोफीलिया

हीमोफीलिया एक दुर्लभ, वंशानुगत रक्त विकार है, जिसके कारण मनुष्य के शरीर में रक्त का थक्का कम बनता है, चोट लगने के चलते अधिक रक्तस्राव होने से इसके परिणाम घातक हो सकते है। हीमोफीलिया इसलिए होता है क्योंकि आपका शरीर आपके रक्त को थक्का बनाने में मदद करने के लिए पर्याप्त प्रोटीन (थक्के बनाने वाले कारक) नहीं बनाता है। थक्के बनाने वाले कारक आपके रक्त में मौजूद प्रोटीन होते हैं। वे आपके प्लेटलेट्स के साथ मिलकर रक्त के थक्के बनाते हैं जो रक्तस्राव को नियंत्रित करते हैं। कम थक्के बनाने वाले कारक के स्तर से रक्तस्राव का जोखिम बढ़ जाता है।

Advertisement
Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Comments

You cannot copy content of this page