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रामनगर: ये कहानी सिर्फ एक नन्हे बाघ की नहीं है, ये कहानी है उस रिश्ते की… जो जंगल की सबसे घातक मानी जाने वाली मादा और उसके मासूम शावक के बीच है। नैनीताल के तराई पश्चिमी वन प्रभाग में… तीर्थ नगर बीट की सिसकती हरियाली में… एक छोटा बाघ अपनी मां से बिछड़ गया।
जंगल के सन्नाटे में जब वन विभाग की गश्ती टीम की नजर इस नन्हे प्राणी पर पड़ी, तो वक्त जैसे थम गया। अकेला… डरा हुआ… और अपनी मां की गंध तलाशता हुआ यह शावक अब इंसानों की निगरानी में है, उसी इंसान की जो अक्सर इनका घर छीन लेता है, लेकिन इस बार… इनकी जान बचा रहा है।
वन अधिकारी धर्मानंद सुनाल कहते हैं, हमारी पहली प्राथमिकता शावक की सुरक्षा और सेहत है। लेकिन कोशिश यही है कि जैसे ही मां का कोई सुराग मिले, बच्चा उसी की गोद में लौट जाए।
कैमरा ट्रैप लगाए गए हैं, जंगल की हर हरकत पर नजर है। उम्मीद है कि कहीं किसी कोने में मां भी अपने बच्चे को ढूंढ रही होगी… बिना आवाज़ किए… क्योंकि शेरनी तो बच्चा खोने पर भी दहाड़ती नहीं, वो लौटती है, धीरे, छुपकर… अपने बच्चे तक। वन विभाग कह रहा है कृपया जंगल के पास न जाएं। क्योंकि अगर आप गए, तो वो मां शायद लौटने से डर जाएगी। और हम जानते हैं, जंगलों में डर से नहीं… भरोसे से मुलाकातें होती हैं। फिलहाल… ये नन्हा शावक सिर्फ एक जानवर नहीं, बल्कि जंगल की एक उम्मीद है कि हम अब भी कुछ सुधार सकते हैं, कुछ जोड़ सकते हैं… एक मां को उसके बच्चे से मिला सकते हैं।

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