-शराब की दुकान को लेकर आबकारी आयुक्त व डीएम में ठनी
-डीएम ने बंद करवाया तो ईसी ने फिर खुलवा दिया, डीएम ने पूछ ली स्टे देने की वजह
देहरादून। शराब के एक ठेके को लेकर प्रदेश के दो नौकरशाहों में ठन गई है। एक अधिकारी ने ठेके में अनियमितताओं को लेकर लाइसेंस निलंबन की कार्रवाई की तो दूसरे ने इस पर स्टे लगाकर ठेके को खुलवा दिया। मामला पहले अधिकारी आईएएस अधिकारी के आदेशों की प्रतिष्ठा का था तो उन्होंने पत्र लिखकर दूसरे अधिकारी से निलंबन की कार्रवाई खारिज करने की वजह पूछ ली और ठेके को खुलवाने से इनकार कर दिया।
मामले की शुरुआत डीएम के जनसुनवाई कार्यक्रम से हुई। जहां उपस्थित स्थानीय निवासी महिलाओं और बुजुर्गों ने शिकायत करते हुए बताया था कि राजपुर रोड की ओपल लॉज बिल्डिंग स्थित शराब की दुकान में खुले में शराब पिलाई जा रही है, जिसकी वजह से महिलाओं व युवतियों का यहां से निकलना दूभर है।
डीएम ने जब इस पूरे मामले की जांच एसडीएम सदर से कराई तो सामने आया कि ओपल लॉज बिल्डिंग के बेसमेंट में अवैध रूप से बार संचालित हो रहा है। द लीकर हब (विदेशी शराब की लाइसेंसी दुकान) शराब बिक्री के अलावा आसपास कई अवैध दुकानें-खोखे लगवाकर शराब सेवन से जुड़े सामान बिकवा रही है। बेसमेंट में अत्यधिक मात्रा में शराब की बोतलें तथा सेवन के लिए उपयोग में आने वाले कप एवं गिलास भी बरामद हुए।
इस जांच रिपोर्ट के आने पर डीएम बंसल ने पांच लाख की चालानी कार्रवाई करने के साथ ही शराब की दुकान के लाइसेंस को 15 दिन के लिए निलंबित करने के आदेश जारी किए। बस इसी मुद्दे को लेकर दोनों अधिकारियों के बीच कलमें खिंच गई और आबकारी आयुक्त हरिचंद सेमवाल ने डीएम के आदेश के विपरीत निलंबन पर स्टे देकर उसी दिन दुकान को खुलवाने के आदेश जारी कर दिए।
शराब की दुकान के निलंबन आदेश पर स्टे दिए जाने की जानकारी मिलते ही मोहल्ले के लोगों ने डीएम से इस बात का फिर विरोध जताया। डीएम ने शराब की दुकान खुलवाने से इनकार करते हुए आबकारी आयुक्त को पत्र भेजकर कहा है कि उनके आदेश में कमी बताई जाए कि आखिर किस आधार पर निलंबन के आदेश को निरस्त किया गया। साथ ही डीएम ने आबकारी आयुक्त के स्टे आर्डर के परिप्रेक्ष्य में दुकान खुलवाने से इनकार कर दिया। उन्होंने आबकारी आयुक्त से कहा कि जो भी आरोप दुकान पर लगे हैं, वह संयुक्त जांच में पुष्ट हुए हैं।
डीएम ने आबकारी आयुक्त से पूछा कि आखिर दुकान के निलंबन पर स्टे आर्डर क्यों दिया गया? स्टे देने में किस नियम या धारा का प्रयोग किया गया है? दरअसल, आबकारी आयुक्त ने निलंबन पर स्टे आर्डर तो दे दिया, लेकिन इसके पीछे कोई वजह नहीं बताई। अब जिलाधिकारी के पलटवार पर आबकारी आयुक्त द्वारा न निगलते बन रहा है और न उगलते। आबकारी अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार डीएम की कार्रवाई कहीं कठघरे में खड़ी नहीं होती और आबकारी आयुकत की चिंता यह है कि कहीं राजस्व न घट जाए।
उघर, डीएम सविन बंसल का कहना है शराब की दुकान को 15 दिन के लिए निलंबित किया गया है, आदेश पर स्टे आर्डर दिए जाने से स्थानीय लोगों में आक्रोश था। उन लोगों ने आपत्ति दर्ज कराई, इसलिए दुकान को निलंबन अवधि में खोले जाने पर रोक लगा दी गई है।