

निकाय चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका, तीन बड़े नेता भाजपा में शामिल
देहरादून: निकाय चुनाव की दहलीज पर, कांग्रेस को एक बार फिर से एक बड़ा झटका लगा है। तीन बड़े नेता, जो कांग्रेस के लिए कुमाऊं जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में खड़े थे, ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। और यह केवल एक सामान्य पार्टी स्विच नहीं है, इन तीनों नेताओं का संबंध पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत से रहा है, जिनका कुमाऊं में मजबूत प्रभाव था।
हरीश रावत, जिन्हें कांग्रेस में अब भले ही कोई अहम पद न मिला हो, लेकिन उनकी पकड़ और संगठनात्मक ताकत आज भी बरकरार है। चुनावी राजनीति में उनका महत्व कभी नकारा नहीं जा सकता। चाहे लोकसभा हो या विधानसभा चुनाव, हरियाली की उम्मीद से लेकर निकाय चुनाव तक, हरीश रावत और उनके समर्थकों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है।
2022 के विधानसभा चुनाव में, जब मोदी लहर ने कुमाऊं में कांग्रेस के लिए बल दिखाया, तो रावत की कड़ी मेहनत के कारण ही कुमाऊं से कांग्रेस को 12 सीटें मिलीं। और यही कुमाऊं क्षेत्र भाजपा के लिए अब खतरे की घंटी बन चुका है, क्योंकि वहां की कांग्रेस की स्थिति मजबूत है, और उसका श्रेय रावत को जाता है।
अब शनिवार को कांग्रेस से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल होने वाले तीन नेताओं के कदम ने इस असंतुलन को और गहरा कर दिया है। इनमें से एक नेता, अल्मोड़ा से मेयर पद के टिकट से वंचित होने के बाद कांग्रेस को अलविदा कह चुके बिट्टू कर्नाटक, जिन्होंने हरीश रावत को अपनी राजनीति का ‘पिता’ माना था, इस घटना का एक ज्वलंत उदाहरण हैं। कांग्रेस प्रवक्ता शीशपाल सिंह बिष्ट ने भी इस बात को माना है कि इन नेताओं के मन में पार्टी के प्रति गुस्सा था।
हालांकि, रावत ने इस बदलाव पर अपनी चिंता जताते हुए एक फेसबुक पोस्ट में उन नेताओं से माफी भी मांगी थी, जिनकी दावेदारी निकाय चुनाव में खारिज कर दी गई थी। लेकिन एक बात साफ है कांग्रेस अब अपने कुमाऊं गढ़ में एक बार फिर से संघर्ष करने की स्थिति में आ गई है।





