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अल्मोड़ा कलेक्ट्रेट में कांग्रेसियों का हंगामा

अल्मोड़ा: सरकारें जब किसी जगह की अनदेखी करती हैं, तो वहां सड़कें टूटी नहीं, टूटी उम्मीदें नज़र आती हैं। पहाड़ों में विकास सिर्फ भाषणों में अटक जाए, तो वहां के पत्थर भी गवाही देने लगते हैं। कुछ ऐसा ही हो रहा है अल्मोड़ा-हल्द्वानी हाईवे पर जहां क्वारब और कैंची के रास्ते अब सिर्फ रास्ते नहीं रहे, वे अब आंदोलन की वजह बन चुके हैं। गुरुवार को अल्मोड़ा का कलेक्ट्रेट परिसर गुस्से और नारों से भर गया। कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं का जत्था जुलूस की शक्ल में वहां पहुंचा। मुद्दा साफ था क्वारब के पास मलबे और बोल्डर से बनी मौत की सड़क, और कैंची धाम के रास्ते पर रोज लगने वाला घंटों लंबा जाम। जाम में फंसी एंबुलेंस, दम तोड़ते मरीज, और पर्यटन से खाली होते पहाड़ी होटल इन सबने कांग्रेस को मजबूर कर दिया कि वो सरकार की नींद तोड़े। और जब नेता सड़कों पर उतरते हैं, तो बैरिकेडिंग सिर्फ औपचारिकता रह जाती है।
जैसे ही कांग्रेस का काफिला कलेक्ट्रेट पहुंचा, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। जवाब में नारे लगे, बैरिकेडिंग टूटी और फिर वही हुआ जो आमतौर पर ऐसे मौकों पर होता है धक्का मुक्की, गहमागहमी और अंत में नेता अंदर। सारे बड़े नेता धरने पर बैठ गए करन माहरा, हरीश रावत, यशपाल आर्य, कुंजवाल, मनोज तिवारी। और फिर शुरू हुई नारेबाज़ी एक के बाद एक सरकार पर निशाना। इस दौरान सरकार पर निशाना साधते हुए पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत कहा कि सरकार की संवेदना मर चुकी है। हम चेताते रहे, चिल्लाते रहे, लेकिन जवाब नहीं मिला। अब हम सरकार की कमर पर चोट करेंगे। क्वारब की हालत से पहाड़ी जिलों की अर्थव्यवस्था को जो नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य ने धामी सरकार पर हमला करते हुए कहा कि ये सरकार अब सिर्फ माफियाओं की ढाल बन गई है। विकास खत्म हो गया है। और हम तब तक लड़ेंगे जब तक इस भाजपा सरकार को सत्ता से बेदखल नहीं कर देते। प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा ने चिंता जताते हुए कहा कि कैंची धाम में घंटों जाम लगता है। मरीज रास्ते में दम तोड़ रहे हैं। पर्यटक पहाड़ आना छोड़ रहे हैं। सरकार ने इस पूरे क्षेत्र की अनदेखी की है। अगर कार्रवाई नहीं हुई, तो आंदोलन को और व्यापक किया जाएगा।
धरने के अंत में कांग्रेस नेताओं ने जिलाधिकारी को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में क्वारब और कैंची मार्ग की समस्या का तत्काल समाधान माँगा गया। ज्ञापन लिया गया, धरना खत्म हुआ लेकिन कांग्रेस ने साफ कर दिया कि आंदोलन अब रुकेगा नहीं।
जब रास्ता खुद रुकावट बन जाए, जब सरकार की आंखों पर पर्दा पड़ जाए, तब जनता आवाज़ बनती है और नेता उसका चेहरा। अल्मोड़ा में यही हुआ। और अब सवाल सड़कों पर है जवाब सरकार को देना होगा। क्योंकि पहाड़ों में चुप्पी देर तक नहीं टिकती, वहां आवाज़ें देर-सबेर गूंजती ज़रूर हैं।

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