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राज्य निर्माण आंदोलन, जमरानी बाँध संघर्ष समिति सहित तमाम सामाजिक मुद्दों से जुड़े आंदोलनो की अगुवाई कर चुके कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी ललित जोशी से निकाय चुनाव, शहर नियोजन व कांग्रेस पार्टी की चुनावी रणनीति सहित विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। पेश है ललित जोशी से हुई बातचीत के मुख्य अंश..

हल्द्वानी मेयर चुनाव की चुनौतियों को आप किस रूप में देखते है?

देखिए चुनाव हो या जीवन का कोई अन्य क्षेत्र चुनौतियां सभी जगह होती है। य़ह आप पर निर्भर करता है कि आप उन चुनौतियों से पार कैसे पाते है। चुनाव में विरोधी दल पर और उसकी नीतियों से पार पाना ही बड़ा चैलेंज होता है। इतना भर कहूँगा कि जंग हो या चुनाव मैदान अच्छा योद्धा युद्ध में कभी पीठ नहीं दिखाता बल्कि परिस्थितियों से मुकाबला कर उन्हें अपने अनुकूल करने की कोशिश करता है। हाँ यदि निवर्तमान मेयर डॉ जोगेंद्र पाल रोतेला चुनावी मैदान में होते तो य़ह चुनाव थोड़ा टफ ( मुश्किल) होता।

बदलते दौर में मतदाताओं का चुनावी आंकलन भी बदल रहा है। वे आज प्रदेश में सत्तारूढ़ पार्टी के स्थानीय प्रत्याशी को ही वोट करना पसंद कर रहे है। आपका क्या कहना है?

मैं आपकी इस बात से कतई इत्तेफाक नहीं रखता आप लोगों का कहना है कि मतदाता य़ह सोच रखता है कि यदि वह सत्तारूढ़ पार्टी के इतर किसी अन्य को वोट करेगा तो उसका प्रतिकूल प्रभाव विकास कार्यो पर पड़ेगा, जबकि य़ह सही नहीं है। पहले तो निकाय चुनाव स्थानीय मुद्दो का चुनाव है। दूसरा मैं यहाँ य़ह कहूँगा कि यदि सत्ता पर काबिज घुड़सवार काबिल होगा तो वह परिणामों को भी अपने अनुकूल कर लेता है। रही बात सत्तारुढ़ पार्टी से इतर अन्य के विजयी होने पर विकास कार्यो के लिए बजट नहीं आवंटित करने की तो नगर निगम अपने आप में स्ववित्त पोषित संस्था है जो खुद अलग अलग मदो से फण्ड जुटाकर विकास कार्यो को अंजाम दे सकती है। आवश्यकता मेयर सीट पर काबिज प्रशासक के विवेक और उसकी जानकारियों पर निर्भर करता है।

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भाजपा नेता ने कांग्रेस पार्टी को मृत घोषित करार दिया है इस पर आप क्या कहना चाहेंगे?

असल में आप भाजपा के जिस नेता की बात कर रहे है उनके पास कहने के लिए अपना कुछ भी नहीं है। एक राष्ट्रीय पार्टी के नेता होने के बावजूद कांग्रेस पार्टी के लिए मृत शब्द का उपयोग करना उनकी आंतरिक हताशा को दर्शा रही है। नहीं तो समाज का नेतृत्व करने वालो को कभी सहना तो कभी झुकना भी पड़ता है, उनका मर्यादित आचरण ही उन्हें जनता की नजरों में हीरो या जीरो बनाता है। बहरहाल इतना भर कहूँगा कि साम्प्रदायिकता की राजनीति के नाम पर अपनी रोटियां सेंकने वाले ऐसे लोगों से अच्छेपन की उम्मीद भी कैसे की जा सकती है। जिन लोगों का काम देश में ही लोगों को आपस में लड़ाना रहा हो उनसे बेहतरी की आशा रखना सूरज को दीया दिखाने के समान होगा।

भाजपा मेयर प्रत्याशी आप पर सपा से गठबंधन कर मातृशक्ति के अपमान करने का आरोप लगा रहे है। आपका इस मामले में क्या कहना है?

सांप्रदायिकता की राजनीति करने वालों को आरोप लगाने से पहले अपने गिरेबान में झाँक लेना चाहिए, य़ह तो वही बात हुयी उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। जिस मातृशक्ति का अपमान करने का आरोप भाजपा कांग्रेस पार्टी पर मढ़ रही है उन्हें अपनी जानकारी दुरुस्त कर लेनी चाहिए कि मुजफ्फरनगर कांड के आरोपी व सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव को पद्मभूषण के सम्मान से नवाजने वालीं भाजपा ही है। उनकी तब केंद्र में सरकार थी। इससे आप समझ सकते है कि उत्तराखंड की मातृशक्ति का अपमान किसने किया।

निवर्तमान मेयर के दस सालों के कार्यकाल का आंकलन आप कैसे करते है?

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बीते दस सालों में हल्द्वानी शहर के विकास की बात करे तो जिस गति से विकास का पहिया घुमना चाहिए था वह नहीं हुआ। दस सालों तक विकास के नाम पर जनता को भ्रम की स्थिति में बनाए रखा। कुड़ा प्रबंधन शहर की बड़ी समस्या रहा है। इसका उचित प्रबंधन किया जाना चाहिए था। कूड़े के निस्तारण के लिए जो 6 एकड़ जमीन अधिगृहित की गई वह कुड़ा निस्तारण के लिए बेहद कम है। इसके आलावा शहर को जाम से मुक्ति के लिए वैकल्पिक मार्ग तलाशे जाने चाहिए थे पर उसके स्थान पर सड़क चौड़ीकरण के नाम पर जनता के धंधों पर बुलडोजर चलाया गया, सड़क चौड़ीकरण का कोई विशेष लाभ शहर को होता नहीं दिखाई दे रहा है। इतना ही नहीं जाम की मुख्य वजह बना बस अड्डे को भी अन्यत्र स्थानान्तरित किया जाना चाहिए था पर वह नहीं हो पाया। नजूल भूमि की समस्या से भी जनता को निजात नहीं मिल पायी।

यदि मेयर पद पर जनता आपको मौका देती है तो आपकी क्या प्राथमिकताएं होंगी?

यदि जनता का आशीर्वाद मुझे मिलता है तो हल्द्वानी शहर मे दूर दराज पहाड़ों से ईलाज के लिए आने वाले मरीजों व उनके तिमारदारो के लिए शहर के भीतर एक पचास कमरों के सराय ( गेस्ट हाऊस)का निर्माण मेरी प्राथमिकताओं में शामिल होगा ताकि पहाड़ से आने वाले मरीजों को सिर छुपाने की छत मयस्सर हो सके। इसके आलावा भवन कर ( टेक्स) के दायरे को सीमित दायरे में रखने का भी मेरा प्रयास होगा। मेरा मानना है कि जब निगम भवन कर ( टेक्स) वसूला है तो नागरिकों को उसी सापेक्ष में सुविधाएं प्रदान करना भी उसका दायित्व है। साथ ही शहर में पार्किंग व्यवस्था का सुदृढ़ प्रबंध के साथ ही शहर को शैक्षिक हब के रूप में बढावा देना मेरी प्राथमिकताओं में शामिल होगा।

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