ख़बर शेयर करें -

हल्द्वानी। डॉ सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय में एम्बुलेंस माफिया जिनके तार शहर के कुछ नामचीन नर्सिंग होम संचालकों से जुड़े हैं उनके गुंडाराज के आगे एसटीएच प्रशासन और पुलिस भी बेबस नजर आती है। हालात की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि एसटीएच के इमरजेंसी वार्ड से मरीजों को बगैर रिलीव कराए ही उठा ले जाते हैं। ऐसे मरीजों को सीधे शहर के उन नर्सिंग होम में पहुंचा दिया जाता है, जहां के लिए ये एम्बुलेंस संचालक दलाली करते हैं। करीब एक दशक से इनका राज कायम है। डॉ सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय के आगे नेशनल हाईवे के किनारे खड़े होने वाले इन एम्बुलेंस संचालकों के खिलाफ कई बार पुलिस ने सख्ती भी की, लेकिन कुछ समय बाद ये दोबारा बारिश में कुकरमुत्तों की तर्ज पर आ जमे।

वार्डों में आते हैं नजर

ये एम्बुलेंस संचालक अक्सर इमरजेंसी व दूसरे वाडों में देखे जा सकते हैं। दरअसल, होता यह है कि कई बार ये मरीज को लेकर एसटीएच की इमरजेंसी वार्ड में पहुंचते हैं। वहां मरीज के साथ तीमारदार भी होते हैं। जब कोई नया मरीज मेडिकल की इमरजेंसी आता है। तो उसकी हालत आमतौर पर गंभीर होती है। वहीं, दूसरी ओर एसटीएच एक सरकारी संस्थान है। इसलिए आमतौर पर सेवाएं देने के मामले में बदनाम सरकारी संस्थानों की रवायत मेडिकल इमरजेंसी में भी नजर आती है। अक्सर इमरजेंसी में मरीज को अटैंड करने में देरी हो जाती है। इस दौरान मरीज के साथ आए तीमारदार बदहवास होते हैं। इलाज मिलने में हो रही देरी को देख वो बुरी तरह से घबरा जाते हैं। बस उनकी इसी घबराहट का फायदा दलाल बने घूम रहे ये एम्बुलेंस संचालक उठाते हैं। मरीज को एम्बुलेंस में डालते हैं और जिस नर्सिंग होम से इनका कमिशन बंधा होता है, वहां पहुंचा देते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  विजीलेंस ने जिला आबाकारी अधिकारी को रिश्वत लेते रंगे हाथ किया गिरफ्तार

तीमारदारों को देते हैं झांसा

ये एम्बुलेंस संचालक मरीज के साथ आने वाले तीमारदारों को अच्छी जगह सस्ता इलाज कराने का झांसा देकर ही मरीज को वहां से लेकर जाते हैं। मरीज और उसके तिमारदार के साथ होता एकदम उलटा है। इलाज तो महंगा होता ही है, साथ ही इस बात की भी कोई गारंटी नहीं होती है कि एसटीएच इमरजेंसी की तुलना में जहां प्राइवेट में ले जाकर भर्ती कराया गया है, वहां पर मरीज को बेहतर इलाज मिल ही जाएगा। जब तक मरीज व तीमारदारों को एम्बुलेंस संचालक दलालों का खेल समझ में आता है तब तक काफी देर हो चुकी होती है। उस दशा में उनके पास कोई खास विकल्प नहीं रह जाता।

यह भी पढ़ें 👉  महिला के लिये जीवन दायनी सेवा ही बनी मौत का सबब

अस्पताल के स्टाफ में मददगार

कार्रवाई के बावजूद अपना गुंडाराज कायम करने में पूरी तरह से कामयाब इन एम्बुलेंस संचालकों को बड़ी मदद इमरजेंसी स्टाफ से मिलती है। दरअसल हो यह रहा है कि एसटीएच की इमरजेंसी में कुछ कर्मचारियों ने एम्बुलेंस संचालकों की नजदीकी किसी से छिपी नहीं है। सुनने में तो यहां तक आया है कि स्टाफ में से भी कुछ की एम्बुलेंस चल रही हैं। स्टाफ के लोग ही बताते हैं कि यहां कौन मरीज परेशान है और उसके तिमारदारों पर कैसे डोरे डालकर मरीज को यहां से ले जाया जा सकता है।

प्रशासन को कई बार कर चुके अवगत

हल्द्वानी राजकीय मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. अरुण जोशी ने बताया कि अस्पताल के ठीक सामने अवैध एम्बुलेंस को लेकर प्रशासन को कई बार अवगत कराया जा चुका है। कई बार पुलिस ने अभियान भी चलाकर इन्हें खदेड़ा भी है। जहां तक अस्पताल प्रशासन की बात है तो डाक्टरों का काम शानदार चिकित्सा सेवा देने का है। अवैध एम्बुलेंसों के खिलाफ तो पुलिस व प्रशासन को ही अभियान चलाना होगा।

Advertisement
Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Comments

You cannot copy content of this page