Advertisement
ख़बर शेयर करें -

प्राइवेट प्रैक्टिस ही नहीं छदम नामों से चल रहे नर्सिंगहोम

हल्द्वानी। प्राइवेट प्रैक्टिस करने वाले सरकारी चिकित्सकों की अब खैर नहीं। सूत्रों का कहना है कि ऐसे चिकित्सकों पर शासन ने अब शिकंजा कसने की तैयारी कर ली है। वहीं दूसरी ओर पता चला है कि तमाम ऐसे सरकारी चिकित्सक हैं जिनके छदम नामों से बड़े नर्सिंगहोम तक चल रहे हैं। इस बीच जानकारी मिली है कि शासन ने ऐसे सरकारी डाक्टरों की कुंडली ठोस साक्ष्यों के साथ तैयार कर ली है जो प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं या जिनके बारे में भाजपा के कुछ नेताओं अन्य संगठनों ने शिकायतें भेजी थी। ऐसे डाक्टरों पर बहुत जल्दी शिकंजा कसा जाएगा। यह भी चर्चा है कि इस कार्रवाई में स्वास्थ्य विभाग के स्थानीय स्टाफ को न लगाकर शासन के स्तर से अलग से एक टीम लगा दी जाए। इसकी आहट यहां उन सरकारी डाक्टरों को भी लग चुकी है जिनकी अक्सर प्राइवेट प्रैक्टिस किए जाने को लेकर चर्चा होती रहती है या फिर उन्हें भी जिनके छदम नामों से नर्सिंग होम चल रहे हैं।

यह भी पढ़ें 👉  करोड़ो के खनन घोटाले में सरकार ने वापस ली एसएलपी

नॉन प्रैक्टिस अलाउंस

सरकारी डाक्टर हैं जिनमें खासतौर से डॉ सुशीला तिवारी चिकित्सालय व सोबन सिंह बेस चिकित्सालय सरीखे सरकारी स्वास्थ्य प्रतिष्ठानों में कार्यरत डाक्टर शामिल हैं, उनको शासन स्तर से नॉन प्रैक्टिस अलाउंस दिया जाता है। इसके बाद डाक्टर को यह लिखकर देना होता है कि वह निजी प्रैक्टिस नहीं करेंगे, लेकिन इसके बाद भी निजी प्रैक्टिस किए जाने को लेकर डाक्टरों की आमतौर पर शिकायतें मिलती रहती हैं।

ओपीडी से रहते है अक्सर गायब

ऐसे सरकारी डाक्टर जिनको लेकर प्राइवेट प्रैक्टिस की बात या कहें आरोप लगते रहते हैं उनमें से ज्यादातर ऐसे हैं जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी ड्यूटी सरकारी अस्पतालों में ओपीडी में लगायी जाती है। आरोप है कि ओपीडी में डयूटी तो लगती है, लेकिन आमतौर पर ओपीडी में जिनकी ड्यूटी लगती है वो बजाय ओपीडी के प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए ज्यादा चर्चा में रहते हैं।

यह भी पढ़ें 👉  करंट के चपेट में आने से बिजली विभाग के लाइनमैन की मौत

पैरोकारों की नहीं कमी

चिकित्सा खासतौर से डाक्टरों की बिरादरी में ऐसे लोगों की कमी नहीं जो सरकारी डाक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस की जमकर वकालत करते हैं। उनका तर्क है कि यदि सरकारी की ओर से सरकारी डाक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस की छूट दे दी जाए तो कम से कम इलाज के अभाव में जो मरीज मर रहे हैं वो शायद न मरें। इसके अलावा लोगों को महंगे इलाज से भी निजात मिल सकेगी। सबसे बड़ा तर्क यह दिया जाता है कि जब सरकारी डाक्टर को पता होगा कि प्राइवेट प्रैक्टिस पर उसके खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी तो उसका पूरा प्रयास होगा कि जो भी उसका डयूटी का वक्त है वह पूरी ईमानदारी से करे। नाम न छापे जाने की शर्त पर स्वास्थ्य विभाग के एक बड़े अफसर ने बताया कि सरकारी डाक्टरों के प्राइवेट प्रैक्टिस पर रोक की अवधारण को सरकार को छोड़ना
चाहिए क्योंकि यह मरीजों के हित में नहीं।

Advertisement
Ad Ad Ad Ad Ad Ad

Comments