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10 अक्टूबर को उत्तराखण्ड में महिला कार्मिकों के लिए अवकाश

देहरादून। एक दिन जब आंखों में काजल कम और इंतज़ार ज़्यादा होता है। एक दिन जब सजी हुई चूड़ियों की खनक के पीछे दिनभर की खामोश थकान छिपी होती है।
करवा चौथ, एक ऐसा पर्व जो केवल व्रत नहीं, बल्कि रिश्तों की बुनियाद को निभाने का नाम है।
उत्तराखण्ड सरकार ने इस परंपरा और समर्पण को सम्मान देते हुए 10 अक्टूबर (शुक्रवार) को प्रदेश की सभी महिला कार्मिकों के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया है। यह फैसला उस नज़रअंदाज़ किए गए श्रम के प्रति एक छोटी-सी लेकिन अहम स्वीकृति है, जो महिलाएं हर दिन, हर घर, हर दफ्तर में चुपचाप करती हैं।
मुख्य सचिवालय से जारी अधिसूचना के अनुसार, यह अवकाश शासकीय, अशासकीय कार्यालयों, शैक्षणिक संस्थानों तथा अन्य सरकारी प्रतिष्ठानों में कार्यरत महिला कर्मचारियों के लिए प्रभावी रहेगा। आदेश में सचिव विनोद कुमार सुमन द्वारा यह उल्लेख किया गया है कि यह निर्णय महिलाओं को पारिवारिक और पारंपरिक दायित्वों को निभाने के लिए अवसर प्रदान करने के उद्देश्य से लिया गया है।
शासन द्वारा सभी संबंधित विभागों, मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, विभागाध्यक्षों और न्यायिक संस्थानों को यह सूचना भेज दी गई है। सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग से अपील की गई है कि इस निर्णय का प्रचार-प्रसार किया जाए, ताकि इसका लाभ राज्य की सभी महिला कार्मिकों तक पहुंच सके।
करवा चौथ का दिन एक सामान्य कैलेंडर तिथि नहीं है यह एक प्रतीक है प्रेम का, प्रतीक्षा का और पूजा की शक्ति का। जब महिलाएं दिनभर बिना जल के, बिना थके, सिर्फ अपने परिवार की सलामती के लिए व्रत रखती हैं, तब एक अवकाश उनके लिए सिर्फ आराम नहीं होता वह एक सरकारी सहानुभूति बन जाता है।
इस फैसले ने बहुत-सी थकी आंखों को एक दिन की राहत दी है।
इस बार चांद थोड़ा और उजला लगेगा। इस बार चुप्पी में एक छोटी-सी मुस्कान भी होगी।
शायद ये खबर अखबार के आख़िरी पन्ने पर छपे। पर जिनके लिए ये खबर है, उनके लिए यह दिन जीवन की भीड़ में सुकून की छोटी-सी खिड़की बनकर आएगा।

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