पांच वर्ष पहले की जांच में हो गया था रजिस्ट्री आफिस में दस्तावेजों की हेराफेरी का खुलासा
ब्यूरो रिपोर्ट
देहरादून। देहरादून के रजिस्ट्री आफिस में जमीन से सम्बन्धित दस्तावेज में हेराफेरी करने के आरोप में उपनिबंधन राम दत्त मिश्रा को सस्पेंड कर दिया गया है और सीएम के निर्देश पर एसआईटी की जांच भी शुरू हो गई है। लेकिन सवाल य़ह है कि जब वर्ष 2009 में ही रजिस्ट्री आफिस में दस्तावेज चोरी होने और काग़ज़ों में कूट रचना का खुलासा हो चुका था और वर्ष 2019 में एडीएम की जांच में इसकी पुष्टि हो चुकी थी तो व्यवस्था को सुधारने के लिए प्रभावी कार्यवाई क्यों नहीं की गई? सबसे बड़ा सवाल य़ह है कि पांच साल पहले ही उच्च स्तरीय जांच की सिफारिश करते हुए प्रथम दृष्टया दोषी अधिकारियों-कर्मचारियों पर कार्यवाई की अनुशंसा कर दी गई थी तो चार डीएम इस पर चुप्पी क्यों साधे रहे? फर्जी कागजात के आधार पर जमीन कब्जाने सम्बन्धी मालिका वीरदी पुत्र तेज वीर सिंह निवासी कैलेंटाउन की शिकायत मिली थी, जिसकी देहरादून के तत्कालीन डीएम सी रविशंकर ने 9 जुलाई 2019 को अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) रामजी शरण शर्मा को विस्तृत जांच की जिम्मेदारी सौपी। एडीएम ने 18 जुलाई 2019 को जांच शुरू की।
22 जुलाई 2019 को डीएम देहरादून को उन्होंने रिपोर्ट भेजी। एडीएम की रिपोर्ट में कई चौकाने वाले खुलासे हुए थे। रिपोर्ट के अनुसार शिकायत की जांच करने के लिए तीन फाइलों का अवलोकन जरूरी था। पहला, इंडेक्स फ़ाइल यानी बही संख्या एक। वर्ष 1969 से लेकर वर्ष 2006 तक की इंडेक्स बही वर्ष 2009 में चोरी कर ली गई थी। दूसरी फ़ाइल थी रजिस्टर संख्या आठ। इसमे क्रेता और विक्रेता के अंगूठे के निशान सुरक्षित रखे जाते है। इस रजिस्टर को 2018 में नष्ट कर दिया गया था। इन दोनों दस्तावेजों के अभाव से सेल डीड की मूल कापी की जांच की गई। इस जांच में पाया गया कि सम्बन्धित दस्तावेज की मूल कापी पर व्हाइटनर लगाया गया था और इस पर ओवर राइटिंग की गई थी। इस तरह की छेड़खानी कई पन्नों यानी दस्तावेजों में की गई थी। एडीएम की रिपोर्ट में उल्लेख हुआ है कि इंडेक्स बही 2009 में चोरी हो गई थी। उसके बाद किसी भी अन्य फ़ाइल को नष्ट करना उचित नहीं था। इसके बावजूद 2005 में कतिपय रजिस्टर को इस दावे के साथ कि उनका समय पूरा हो गया है नष्ट कर दिया गया। जांच में य़ह भी पाया गया कि जिन दस्तावेजों को सब रजिस्ट्रार आफिस से गायब किया गया या नष्ट किया गया, उन्हीं दस्तावेजों की मूल कापी से कूट रचना की गई है। रिपोर्ट में स्पष्ठ उल्लेख हुआ है कि य़ह सब गिरोह बंद असमाजिक तत्वों को नाजायज फायदा देने के लिए किया गया और कार्यालय के कर्मचारियों व अधिकारियों की मिलीभगत के बैगेर य़ह सम्भव नहीं। एडीएम ने पूरे प्रकरण की जांच के लिए एसआईटी का गठन करने, रजिस्ट्री आफिस के कर्मियों- अफसरों की जिम्मेदारी तय करने और फोरी तौर पर रजिस्ट्री कार्यालय की सुरक्षा के सभी सम्भव उपाय करने की सिफारिश की थी।
व्यापक पैमाने में हुई छेड़छाड़
डीएम की शिकायत पर मैंने इस प्रकरण की जांच की थी। शिकायतकर्ता के सभी आरोप सही पाए गए थे। जाच में रजिस्ट्री कार्यालय में दस्तावेज के साथ व्यापक पैमाने पर छेड़छाड़ की पुष्टि भी हुई थी। उसी आधार पर एसआईटी जांच रजिस्ट्री कार्यालय अधिकारियों – कर्मचारियों की जिम्मेदारी तय करने की सिफारिश की थी मेरी सिफारिश के आधार पर कार्यवाई हुई या नहीं इसकी जानकारी मुझे नहीं है।
राम शरण शर्मा ,जांच अधिकारी
(वर्तमान में एडीएम वित्त देहरादून)