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2025 का मानसून बना तबाही का पर्याय: उत्तर भारत जलमग्न, आईएमडी की चेतावनी

दिल्ली/ देहरादून: 2025 का मानसून अब तक के इतिहास में सबसे असामान्य और अत्यधिक सक्रिय साबित हो रहा है। देश के कई हिस्सों में बारिश की तीव्रता और लगातार जारी वर्षा ने बाढ़, भूस्खलन और जनजीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया है। विशेष रूप से उत्तर भारत, पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्यों में हालात बेहद गंभीर हैं।
उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश समेत पहाड़ी राज्यों में बादल फटने और लैंडस्लाइड की घटनाएं आम हो गई हैं। शिमला, सोलन, सिरमौर, ऊना जैसे जिलों में रेड अलर्ट जारी है। पंजाब दशकों की सबसे भीषण बाढ़ का सामना कर रहा है नदियां उफान पर हैं, नहरें टूट चुकी हैं और हजारों हेक्टेयर फसल बर्बाद हो चुकी है।
भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने आगाह किया है कि सितंबर 2025 में औसत से 109 प्रतिशत अधिक वर्षा हो सकती है। इस महीने की सामान्य वर्षा 167.9 मिमी होती है, लेकिन इस बार यह आंकड़ा काफी ऊपर जा सकता है। इसका सीधा असर बाढ़ और भूस्खलन के खतरे पर पड़ेगा।
आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने बताया कि पिछले चार दशकों में सितंबर की बारिश में लगातार बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अगस्त 2025 में उत्तर-पश्चिम भारत में रिकॉर्ड 265 मिमी बारिश दर्ज हुई, जो पिछले 100 वर्षों में सबसे अधिक है।
उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान के हिस्सों में भारी बारिश, फ्लैश फ्लड और भूस्खलन का बड़ा खतरा मंडरा रहा है। धार्मिक यात्राएं जैसे अमरनाथ और वैष्णो देवी बुरी तरह प्रभावित हो चुकी हैं। प्रशासन ने कई इलाकों में रेड और ऑरेंज अलर्ट जारी कर दिए हैं।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, इस साल मानसून की देरी और लगातार सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ ने आपदा की स्थिति को और गंभीर बना दिया है। इसके चलते मानसून की वापसी सितंबर में और देर से होगी, जिससे यह महीना भी बारिश का गढ़ बन गया है।
दुनिया भर की आपदाओं को लेकर मशहूर बाबा वेंगा ने 2025 के अंत तक भयानक प्राकृतिक आपदाओं की भविष्यवाणी की थी जिनमें भूकंप, सूखा, बाढ़, और तापमान वृद्धि शामिल हैं।
हाल ही में अफगानिस्तान में भूकंप से 800 लोगों की मौत और रूस में आए तेज़ भूकंप ने इन पूर्वानुमानों को लेकर चिंता और बढ़ा दी है। वेंगा की पूर्ववाणियों में 9/11, चेरनोबिल, सोवियत संघ का विघटन, और 2004 की सुनामी जैसी घटनाएं पहले ही सच साबित हो चुकी हैं।
वर्तमान हालात को देखते हुए यह ज़रूरी है कि आपदा प्रबंधन विभाग और स्थानीय प्रशासन चौबीसों घंटे सतर्क रहें। समय रहते लोगों का स्थानांतरण, जल निकासी की बेहतर व्यवस्था, और जनजागरूकता से ही संभावित जान-माल के नुकसान को टाला जा सकता है।
यात्रा से बचें, खासकर पहाड़ी इलाकों में। मौसम विभाग की चेतावनियों का पालन करें। सुरक्षित स्थानों पर रहें और अफवाहों से बचें।
उत्तराखण्ड जनादेश की आपसे अपील है कि इस आपदा के समय सजग रहें, सुरक्षित रहें और मौसम से जुड़ी हर सूचना पर नजर बनाए रखें।

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