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हल्द्वानी। लोकसभा चुनाव 2024 में उत्तराखंड के मतदाताओं ने एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर भरोसा जताया है। प्रदेश के सभी पांच सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों ने भारी बहुमत से जीत की हैट्रिक लगाई है। उत्तराखंड में 19 अप्रैल को पहले चरण में लोकसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी। भाजपा कांग्रेस समेत कुल 55 प्रत्याशी मैदान में थे। 83 लाख से अधिक मतदाताओं में से 47.72 लाख ( लगभग 57.4 फीसदी ) मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया। मंगलवार सुबह आठ बजे शुरू हुई मतगणना में शुरूआत से ही सभी सीटों पर भाजपा प्रत्याशियों को बढ़त मिलनी शुरू हो गयी। यह बढ़त अंत तक कायम रही और सांय छह बजे तक सभी सीटों पर तस्वीर साफ हो गयी। टिहरी सीट से भाजपा की माला राज्य लक्ष्मी शाह ने लगातार चौथा बार जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस के जोत सिंह गुनसोला को 2.72 लाख से अधिक मतों से हराया है। इस सीट से 11 प्रत्याशी मैदान में थे। पौड़ी गढ़वाल सीट से भाजपा के अनिल बलूनी ने कांग्रेस प्रत्याशी गणेश गोदियाल को 1.5 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया है। हरिद्वार सीट से भाजपा प्रत्याशी त्रिवेंद्र सिंह रावत को 1.63 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया है। अल्मोड़ा से भाजपा के अजय टम्टा ने लगातार तीसरी बार विजय हासिल की है। और उन्होंने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को 2.25 लाख से अधिक मतों से हराया है। नैनीताल-उधम सिंह नगर सीट से भाजपा के अजय भट्ट ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की है। उन्होंने कांग्रेस के प्रकाश जोशी को 3.34 लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया है। उत्तराखंड में लगातार तीसरी बार जीत की हैट्रिक लगाने के पीछे प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के करिश्माई नेतृत्व के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के कड़े फैसले को जाता है। प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के नेतृत्व में जहां प्रदेश को दो लाख करोड़ से अधिक की परियोजनाओं की सौगात मिली वहीं पुष्कर सिंह धामी ने राज्य में यूसीसी कानून, सख्त धर्मातरण कानून, लैंड जिहाद के खिलाफ अभियान और सख्त नकल विरोधी कानून के जरिए एक कुशल प्रशासक की छवि बनाई। संगठनात्मक रूप से भी भाजपा पूरी तरह सक्रिय रही और एक साल पहले से चुनाव रणनीति बनाने में जुट गयी। उधर, कांग्रेस ने प्रत्याशियों के चयन में काफी विलंब कर दी। इसका असर प्रचार प्रसार पर पड़ा। प्रिंयका गांधी को छोड़ कर कांग्रेस के राष्ट्रीय स्तर के एक भी नेता ने उत्तराखंड में प्रचार प्रसार में हिस्सा नहीं लिया। कांग्रेस के बड़े नेताओं मसलन हरीश रावत, यशपाल आर्य, प्रीतम सिंह का चुनाव नहीं लड़ना भी पार्टी के लिए नुकसानदेह रहा।

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