36 में 35 ट्रेनी नहीं कर पाए थे प्रशिक्षण परीक्षा उत्तीर्ण
हल्द्वानी। गजब हो गया। चयन के बाद अल्मोड़ा में प्रशिक्षण हासिल कर रहे नायब तहसीलदारों को प्रशिक्षण में सफल हुए बिना ही पद पर तैनाती दे दी गई। जब मामले का खुलासा हुआ तो हड़कंप मच गया और राजस्व परिषद ने 36 में से 35 नायब तहसीलदारों को 1 दिसंबर से पुनः प्रशिक्षण लेने के आदेश दे दिए। ट्रेनिंग पास करने के बाद ही उन्हें अपने नियुक्ति के स्थान पर तैनाती दी जाएगी।
प्रदेश में चयन आयोग द्वारा आयोजित प्रतियोगिता परीक्षा में सफल रहने वाले अभ्यर्थियों को नायब तहसीलदार पद नियुक्ति दिए जाने से पूर्व अल्मोड़ा स्थित प्रशिक्षण संस्थान में प्रशिक्षण लेना पड़ता है और इसमें सफल रहने पर ही उन्हें नियुक्ति दी जाती है। मौजूदा बैच में 36 प्रशिक्षणार्थी प्रशिक्षण ले रहे थे, लेकिन उनमें से 35 प्रशिक्षण में अनुत्तीर्ण रहे। प्रशिक्षण में असफल रहने के बावजूद इन सभी को विभिन्न स्थानों पर तैनाती दे दी गई थी। यह मामला जब राजस्व परिषद के संज्ञान में आया तो इन नायब तहसीलदारों को न केवल पुनः प्रशिक्षण के लिए वापस बुलाने के आदेश दिए गए, बल्कि अल्मोड़ा स्थित प्रशिक्षण संस्थान के कार्यकारी निदेशक को भी पद से हटाकर बाध्य प्रतीक्षा में रखा गया। दोबारा ट्रेनिंग के बाद एक परीक्षा होगी, जिसे उत्तीर्ण करने पर ही इन्हें दो महीने बाद नियुक्ति दी जाएगी। प्रशिक्षुओं के फेल होने और उनकी तैनाती से जुड़ा यह मामला अब व्यापक चर्चा का विषय बन गया है। प्रशिक्षण संस्थान के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक श्रीश कुमार ने एक पत्र में प्रशिक्षु नायब तहसीलदारों के अनुशासन और व्यवहार में कई गंभीर कमियों का उल्लेख किया था। पत्र में बताया गया कि 36 प्रशिक्षुओं में से 35 का आचरण संतोषजनक नहीं था, प्रशिक्षण के दौरान उन्होंने नोट्स नहीं बनाए, कक्षाओं में मोबाइल पर व्यस्त रहे और अधिकांश विषयों में निर्धारित मानकों से कम अंक प्राप्त किए। इस मामले के उजागर होने के बाद श्रीश कुमार को हटाकर उन्हें बाध्य प्रतीक्षा में भेज दिया गया है। उनकी जगह कार्यकारी निदेशक के रूप में सीएस डोभाल की नियुक्ति की गई है, जिन्होंने पहले स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी और उनकी अचानक वापसी ने सभी को चकित कर दिया है। फिलहाल अब इन सभी नायब तहसीलदारों को अगले महीने फिर से ट्रेनिंग में लौटकर दोबारा प्रशिक्षण लेना होगा और प्रशिक्षण के सफलतापूर्वक उत्तीर्ण करने के उपरांत ही उन्हें नियुक्ति दी जाएगी। प्रदेश के इतिहास में अपनी तरह के इस अनोखे मामले से हर कोई भौंचक्क है और यह सवाल उठ रहा है कि नायब तहसीलदार जैसे जिम्मेदार पद पर नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थियों का जब यह हाल है तो प्रदेश की क्या स्थिति होगी।