हल्द्वानी। महानगर का रूप ले चुके हल्द्वानी शहर की तमाम बिल्डिंगों के बेसमेंट में वाहन पार्किंग के अलावा सब कुछ हो रहा है। कहीं कोचिंग क्लास चल रही है तो कहीं बेसमेंट में नर्सिंग होम संचालित किए जा रहे है।
तमाम व्यवसायिक काम बेसमेंट में किए जा रहे है और तो और बड़े कॉम्प्लेक्सो में पार्किंग के बजाय बेसमेंट में दुकानें बना कर बेच दी गई है। ऐसा गली कूचो या फिर दूरदराज नहीं शहर के करीब या शहर के बीचो बीच हो रहा है। जिला विकास प्राधिकरण ने ऐसी बिल्डिंगों के मानचित्र बेसमेंट में पार्किंग की शर्त पर ही स्वीकृत किए हैं, लेकिन तमाम कॉम्प्लेक्स या फिर ऐसी सभी बड़ी बिल्डिंगों के बेसमेंट में बजाए पार्किंग के कारोबारी काम हो रहे हैं। इनमें आने वाले लोगों की गाड़ियां बजाए कॉम्प्लेक्स के बेसमेंट की पार्किंग के रोड पर खड़ी होकर शहर के ट्रैफिक के लिए मुसीबत बन रही हैं। हाल ही में जिला विकास प्राधिकरण के अधिकारियों ने अभियान चलाकर ऐसे कई भवन चिन्हित किए थे, लेकिन चिन्हितकरण का काम यहीं भर नहीं ठहर गया है। फील्ड स्टाफ को ऐसे तमाम भवनों को सर्वे करने के निर्देश दिए हैं जिनमें बेसमेंट में पार्किंग की शर्त पर मानचित्र स्वीकृत किया गया है, लेकिन जिनके बेसमेंट में व्यवसायिक गतिविधियों की जानकारी मिल ही है।
तीन मौतों के बाद टूटी नींद
नई दिल्ली के राजेन्द्र नगर इलाके में बेसमेंट में चल रहे कोचिंग सेंटर में बारिश का पानी भर जाने के बाद आईएएस की तैयारी कर रहे तीन छात्रों की मौत की गूंज जब देश भर में गूंजी उत्तराखंड समेत दिल्ली एनसीओर के तमाम प्राधिकरण के आला अफसर नींद से जाग गए। इस मामले में शासन का भी चाबुक चला। मुख्य सचिव व प्रमुख सचिव नगर विकास ने तमाम प्राधिकरण अध्यक्ष को पत्र लिखकर ऐसे भवन चिन्हित कर कार्रवाई के निर्देश दिए जिनमें बेसमेंट में बजाए पार्किंग के कोचिंग सेंटर, नर्सिंग होम, वर्कशॉप, सैलून, मार्केट, लैब व ओपीडी सरीखी व्यवसायिक गतिविधियां चल रही हैं। शासन के निर्देश के बाद ही जिला विकास प्राधिकरण के अफसरों की नींद टूटी है।