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हल्द्वानी। भोर की पहली किरण के साथ ही शहर-गांव में रेहड़ी-फेरी वालों का कानफोडू प्रचार शुरू हो जाता है, जो देर सांय तक जारी रहता है। रेहड़ी-फेरी वालों के इस शोर ने लोगों का जीना मुहाल करके रख दिया है। इन्होंने बाइक, ई-रिक्शा से लेकर तमाम छोटे-बड़े वाहनों पर लाउडस्पीेकर लगाकर कानफोडू शोर मचा रखा है। जिससे बीमार व बुजुगों को दिक्कत हो रही है। दिन निकलते ही कानफोडू शोर सुनाई देने लगता है और देर रात तक तमाम नियम-कायदे ताक पर रखकर खूब शोर मचाया जाता है। लगातार मचने वालें शोर से कान के मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है। हालत यह है कि गांव से लेकर शहर तक सुबह से लेकर शाम तक कानफोडू शोर मचाने वालों की लाइन लगी रहती है। ऊंची आवाज और तेज स्पीकर खोलकर फेरी वालों ने लोगों का जीना मुश्किल करके रख दिया है, लेकिन इस ओर प्रदूषण विभाग का कतई ध्यान नहीं है। कार्रवाही न होने के कारण ऐसे लोगों के लगातार हौसले बढ़ रहे है, और दिनों दिन रेहड़ी-फेरी पर लाउडस्पीकर लगाने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। जिससें आम जनमानस काफी तंग और परेशान हो चुका है।

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क्या है नियम

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 15 के ध्वनि प्रदूषण (विनियमन एवं नियंत्रण) नियमावली 2000 के नियम 5/6 के अनुसार यह संज्ञेय और गैर जमानतीय अपराध है। जिसमें पांच वर्ष तक की सजा और एक लाख रूपये तक के हर्जाने की व्यवस्था है। नियमावली में प्रदत्त अनुसूची के अनुसार आवसीय क्षेत्र में दिन की अवधि में ध्वनि का स्तर 55 डेसिबेल और रात में 45 डेसिबेल स्वीकार्य है।

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