अंजान बने पावर अफसर, ब्यौरा तो अधिकारियों के पास भी नहीं
हल्द्वानी। शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में दौड़ रहे हजारों ई-रिक्शा हर माह उत्तराखंड पावर कारपोरेशन को लाखों फटका लगा रहे है, लेकिन विद्युत विभाग के अफसरों के रवैये की यदि बात की जाये तो वे इससे पूरी तरह से अंजान नजर आते है। महानगर और ग्रीमीण क्षेत्र में कितने ई-रिक्शा दौड़ रहे है इसका ब्यौरा तो पावर कारपोरेशन के अफसरों के पास नही है। लेकिन इतना जरूर मानते है कि जितने ई-रिक्शा हल्द्वानी में दौड़ रहे है, उनके चार्जिंग स्टेशन की व्यवस्था सम्बंधित विभाग ने अभी तक नही की है। आरटीओं विभाग के सरकारी आकड़ो की माने तो 3601 ई-रिक्शा का आरटीओं में रजिस्ट्रेशन है। सूत्र बताते है कि इसके विपरीत जितने ई-रिक्शा आरटीओं में रजिस्टर्ड है उससे कई ज्यादा अवैध रूप से गलियों व सड़कों में दौड़ रहे है। आरटीओं विभाग के आकड़ो पर यदि यकीन करे और कम-से-कम 3601 ई-रिक्शा अधिकृत है, य़ह मान भी लिया जाये तो बड़ा सवाल यह है कि इनकी चार्जिंग कहा हो रही है। इसमें यदि अवैध रूप से संचालित ई-रिक्शाओं को जोड़ दिया जाये तो इनकी संख्या 5 हजार से अधिक आंकी जा रही है। पांच हजार ई-’रिक्शा के आकड़े यदि दुरूस्त है तो फिर लगे हाथों इनकी चार्जिंग में कितनी बिजली कंज्यूम हो रही है, इसकी भी बात कर ली जाये।
नही है कमर्शियल चार्जिंग स्टेशन
ये तो साफ हो गया है कि जितनी बड़ी संख्या में हल्द्वानी में ई-रिक्शा संचालित हो रहे है, उनके लिये चार्जिंग स्टेशन का इंतेजाम उत्तराखंड पावर कारपोरेशन या फिर अन्य सम्बन्धित विभाग की तरफ से नही किये गये है। ई-रिक्शा चार्ज करने के लिये करीब 10 से 12 घंटे का वक्त लगता है। यदि वैध ई-रिक्शा की बात की जाये तो करीब तीन हजार छः सौ एक ई-रिक्शा चार्ज करने में कितना वक्त लगेंगा? इसमें यदि अवैध सम्मलित 2 हजार ई-रिक्शा और जोड़ दिये जाये तो कितना वक्त लगेगा? इन पर बैटरी चार्ज कराने के लिये कमर्शियल रेट देना होता है।
प्रतिदिन हो रहा 5 लाख का नुकसान
हालांकि केवल रजिस्टर्ड ई-रिक्शा की बात करे तो यह करीब तीन हजार छः सौ एक है। ई-रिक्शा की बैटरी अवैध रूप से चार्ज की जाती है और इस अवैध चार्जिंग के जरिये हर दिन बिजली विभाग को करीब हल्द्वानी महानगर व ग्रामीण क्षेत्रों से 5 लाख का चूना लगाया जा रहा है।
चार्जिंग में होती है इतनी बिजली कंज्यूम
ई-रिक्शा में 12-12 वोल्ड की चार बैटरी ( 48 वोल्ड ) होती है, इन्हे चार्ज करने के लिये कम-से-कम 10 से 12 घंटे का समय लगता है। इसमें करीब 16 यूनिट बिजली खर्च होती है। शहर में दौड़ रहे आरटीओं में पंजीकृत करीब 3601 ई-रिक्शा प्रतिदिन करीब 57616 यूनिट बिजली खपत करते है।
प्रति यूनिट के दर से प्रतिमाह करीब 6251336 लाख रूपये़ से ज्यादा की बिजली चोरी हो रही है। यहा उल्लेखनीय है कि ई-रिक्शा सर्विस कमर्शियल गतिविधि के अंतर्गत आते है। इन्हे कमर्शियल कनेक्शन के जरिये ही चार्ज किया जा सकता है।