देहरादून। द्वापर युग में दानवीर कर्ण के दान का उल्लेख जग जाहिर है। उनकी यह परम्परा आज भी बदस्तूर जारी है। आज भी लोग दान की परम्परा का निर्वहन करते चलें आ रहे है। बात अगर देवभूमि उत्तराखंड की जाये तो यहां राजधानी दून के लोग दानवीर कर्ण सें पूर्ण रूप से इत्तफाक रखते है। यह हम नहीं कह रहे है बल्कि स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के आंकडे इसकी तस्दीक कर रहे है। दान करने के मामले में देहरादून जिला सूबे में प्रथम स्थान पर रहा जबकि नैनीताल जनपद का नम्बर दूसरे स्थान पर है। देहरादून जिले में वित्तीय वर्ष 2022-23 में 219 व वर्ष 2023-24 में 141 दाननामा हुये। स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग में भूमि के वेनामा के अलावा दाननामा लीज देने की भी प्रक्रिया होती है। अगर राज्य की बात करे तो वित्तीय वर्ष 2022-23 में सूबे में 672 दाननामा हुये थे। इसमें देहरादून में सबसे अधिक 219 हुये। इसी क्रम में वित्तीय वर्ष 2023-24 में 578 दाननामा हुये जिनमें सबसे अधिक दाननामा देहरादून जिले में 141 हुये। इसी वित्तीय वर्ष में नैनीताल जिले में 141 हुये। देहरादून जिलें में प्रदेश में सबसे अधिक रजिस्ट्री भी होती है। नैनीताल जिला दाननामा में सूबे में दूसरे स्थान पर रहा। पिछले दो वित्तीय वर्ष में यहां क्रमशं में यहां 156 और 141 दाननामा हुये। इसी तरह ऊधमसिंह नगर में 104 और 106 वहीं हरिद्वार में 132 और 92 दाननामा हुये। स्टॉम्प एवं रजिस्टेªशन विभाग के अनुसार कोई किसी को भी दाननामा कर सकता है। मसलन दपंती, माता-पिता, भाई-बहन, पुत्र-वधू, नाती-पौथा, दादा-दादी के बीच दाननामें की प्रक्रिया होती है। तो उन्हें कुल दपंत्ती का एक प्रतिशत स्टाम्प चुकानी होती है। जबकि अन्य मामलों में कुल सपंती का पांच प्रतिशत स्टांप ड्यूटी देनी होती है।
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