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हल्द्वानी। आखिरकार हरदा की जिद के आगे कांग्रेस आलाकमान को झुकना ही पड़ा। पूर्व सीएम हरीश रावत अपने पुत्र वीरेंद्र रावत को हरिद्वार लोकसभा सीट से टिकट दिलाने में कामयाब रहे। इसे भले ही पूर्व सीएम हरीश रावत अपनी एक और राजनीति सफ़लता मान रहे हो, लेकिन दूसरी ओर भाजपा काग्रेस के इस निर्णय से फीलगुड अवस्था में आ गई है। कारण कि भाजपा को आशंका थी कि यदि कांग्रेस आलाकमान पूर्व सीएम हरीश रावत को हरिद्वार लोकसभा सीट से मैदान में उतारती है तो राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच मुकाबला होगा। लेकिन कांग्रेस आलाकमान का हरीश को हटाना एक तरफ से भाजपा को वाकऑवर देना ही माना जा रहा है। यहां दे कि पूर्व सीएम हरीश रावत पिछले कुछ दिनों से अपने बेटे वीरेंद्र रावत के साथ दिल्ली दरबार में डेरा डाले हुए थे। जहां पार्टी हाईकमान की इच्छा थी कि पूर्व सीएम हरीश रावत खुद हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव लड़े, वहीं तमाम राजनीतिक व पारिवारिक कारणों के चलते हरीश रावत अपने बेटे वीरेंद्र रावत के लिए टिकट दिए जाने को लेकर अड़े थे। आखिरकार हरदा की जिद के आगे पार्टी आलाकमान को उनके बेटे को टिकट देना ही पड़ा। हरिद्वार के सांसद रह चुके पूर्व सीएम रावत अब अपने बेटे को यहां से लोकसभा चुनाव जिताकर संसद पहुचाने का सपना देख रहे है। उनका य़ह सपना कितना सच होगा य़ह देखने वालीं बात होगी। बहरहाल रावत ने हरिद्वार, रुड़की, मंगलोर समेत तमाम इलाकों में प्रचार शुरू कर दिया है। बता दे कि पूर्व सीएम हरीश रावत की बेटी अनुपमा रावत हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा सीट से विधायक है। जिसका राजनीतिक लाभ भी उनके भाई वीरेंद्र रावत को मिलने की गुंजाईश हो सकती है। वहीं सूत्रों के अनुसार हरिद्वार लोकसभा सीट से वीरेंद्र रावत को टिकट दिए जाने के बाद काग्रेस में अंदरूनी राजनीति गरमाने लगी है, नाम न छापने की शर्त में एक आला पदाधिकारी का कहना है कि पार्टी आलाकमान ने पूर्व सीएम की जगह उनके बेटे को चुनावी मैदान में उतार कर बड़ी राजनीति चूक की है जिसका खमियाजा पार्टी को हार के रूप मे भुगतना पड़ सकता है।

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