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हल्द्वानी के प्रतिष्ठित अब्दुला परिवार का वंशज है दंगे का मास्टर माइंड अब्दुल मलिक

हल्द्वानी। अब्दुल्ला बिल्डिंग के अब्दुल मलिक का नाम 9 फरवरी को बनभूलुपरा में हुए दंगे के बाद सबकी जुबान पर है। पुलिस का दावा है कि अब्दुल मलिक दंगे का मास्टर माइंड है। अब्दुल मलिक का वैसे तो कोई गंभीर आपराधिक इतिहास नहीं है, लेकिन इनके द्वारा कब्जाए गए मलिक का बगीचा की आग ने पूरे हल्द्वानी को दंगे की आग में झोंक दिया। हल्द्वानी में बरेली रोड पर अब्दुल्ला बिल्डिंग है। यह बिल्डिंग सिर्फ बरेली रोड की ही लैंडमार्क नहीं, बल्कि एक प्रतिष्ठित परिवार की भी शान की पहचान है। यह बिल्डिंग अब्दुल्ला साहब के नाम से ही जानी जाती है। अब्दुल्ला साहब नगर पालिका के चेयरमैन के साथ ही शहर के मोअज्जिज व्यक्तियों में से एक थे। उनके पांच बेटों में से एक अब्दुल मलिक है। पारिवारिक रसूख व बेहिसाब दौलत का अब्दुल मलिक का हमेशा फायदा मिला। मलिक 1988-89 में नगर पालिका के चेयरमैन के लिए चुनाव लड़ा लेकिन हार गया। इसी चुनाव में पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व. इंदिरा हृदयेश के पति हृदयेश कुमार भी मुकाबले में थे, लेकिन वह भी हार गए थे। नवीन तिवारी ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद मलिक ठेकेदारी में उतरा। वह रेलवे समेत कई सरकारी महकमों मे ए श्रेणी का ठेकेदार है। लेकिन उसकी राजनैतिक आकांक्षाएं कम नहीं हुई। हल्द्वानी में राजनैतिक जड़ें जमती नहीं देख मलिक ने बसपा के हाथी की सवारी के लिए अपनी राजनैतिक जमीन बदल दी। वह वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में हरियाणा के फरीदाबाद संसदीय सीट से चुनाव लड़ा लेकिन हार गया। राजनैतिक हार के बाद अब्दुल मलिक फिर से उत्तराखंड में सक्रिय हो गया और यहां अपना ठेकेदारी का काम व अन्य कारोबार बढ़ाता गया। इसी कारोबार और पारिवारिक रसूख की आड़ में उसका लालच बढ़ता गया। जिस परिवार की प्रतिष्ठा की वजह से कंपनी बाग मिला था, मलिक की नजर उस सरकारी भूमि पर पड़ी। बगीचे की भूमि में प्लॉटिंग करना शुरू कर दिया। छोटे-छोटे प्लॉट को 50 रुपये के स्टांप पर लाखों रुपये में बेचा जाने लगा। इस तरह कंपनी बाग धीरे-धीरे मलिक का बगीचा बन गया। नगर निगम का दावा है कि कंपनी बाग की दो एकड़ से अधिक भूमि का सौदा कर दिया गया। जब बची हुई एक एकड़ भूमि को नगर निगम बचाने पहुंची तो मलिक ने धार्मिक भावनाएं भड़का कर दंगे की साजिश रच दी।

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मस्जिद की आड़ में सरकारी जमीन कब्जाने की साजिश

हल्द्वानी। मलिक का बगीचा में जो मदरसा व मस्जिद है, सिर्फ नाम की थी। बनभूलपुरा के ही कुछ बाशिंदों का कहना है कि यहां मलिक की धमक रहती थी। उसकी इजाजत के बिना कोई भूमिगत मस्जिद में नहीं जा सकता था। इबादत के लिए लोग अन्य मस्जिदों में जाते थे, यहां चैनल पर ताला लटका रहता था। बस इनकी आड़ में सरकारी जमीन कब्जाने की साजिश थी।

अच्छी खासी है राजनीतिक पकड़

सू़त्रों का कहना है कि मलिक की सिर्फ कांग्रेस, बसपा में ही नहीं बल्कि भाजपा के राष्ट्रीय व प्रादेशिक नेतृत्व में भी जबरदस्त पकड़ है। राष्ट्रीय स्तर के एक वरिष्ठ नेता जब हल्द्वानी आए तो मलिक के घर पर ठहरे। इतना ही नहीं इन नेता के परिजन भी यहां ठहरते हैं। मलिक की दिल्ली में भाजपा मुख्यालय तक भी पकड़
बताई जाती है।

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अभिलेखों में नहीं है मलिक का बगीचा दर्ज

नगर आयुक्त पंकज उपाध्याय का कहना हैं कि नगर निगम के अभिलेखों में मलिक का बगीचा नाम से कोई स्थान दर्ज नहीं है। उक्त स्थान कंपनी बाग के नाम से जाना जाता है। बाग की 2 एकड़ से अधिक भूमि का सौदा कर दिया गया। सिर्फ एक एकड़ भूमि ही बची है। जहां मदरसा व मस्जिद बनाया गया था उक्त भूमि भी 800 वर्ग मीटर थी।

120 शस्त्र लाइसेंस कैंसिल

हल्द्वानी। बनभूलपुरा में बृहस्पतिवार को अतिक्रमण हटाने के दौरान हुए दंगे के बाद से लगातार प्रशासन की कार्रवाई जारी है। पुलिस ने इस दंगे में शामिल 30 उपद्रवियों को अभी तक गिरफ्तार किया है। इसके अलावा तमाम लोगों को पकड़कर पूछताछ की जा रही है। इस बीच डीएम नैनीताल वंदना सिंह ने कड़ा एक्शन लेते हुए थाना बनभूलपुरा के अंतर्गत 120 शस्त्र लाइसेंस कैंसल कर दिए हैं। उन्होंने बताया कि मामले की संवेदनशीलता और हालातों को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। उन्होंने बताया कि अभी और शस्त्र लाइसेंस की जांच की जा रही है और उन पर भी कार्रवाई की जाएगी।

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