हल्द्वानी। आज हम आपको वाकिफ कराने जा रहे है शहर की उस खास जगह से जिसे वर्कशॉप लाइन कहा जाता है। इस जगह की खासियत यह है कि दिन में यहां दूर-दूर तक लगने वाले ठेलों में हजारों राहगीर भोजन पाकर अपने भूख को शांत करते है। दिन में यह राहगीरों के लिये सस्ता व सुलभ भोजन के लिहाज से मुफीद स्थान है, लेकिन सांझ ढलते ही इन्ही ठेला भोजनालय की जगह यहां रात्रि में सजने वाले स्ट्रीट बार ले लेते है। जहां पर खुले आम शराब के जाम टकराते लोग देखे जा सकते है। दिन में भूखे लोगों को भोजन उपलब्ध करा कर राहत पहुचाने वाली यही वर्कशॉप लाइन शाम होते ही उस नर्क में तबदील हो जाती है जहां से शहर की बहू-बेटियों के लिये गुजरना तक दूर्भर हो जाता है। एक तरह से यहां पर सजने वाले स्ट्रीट बारों ने यहां से बहू-बेटियों के आवागमन पर कर्फ्यू सी स्थिति पैदा कर दी है। वहीं रही सही कसर यहां सड़क से सटी दुकानों में सर्व सुलभ शराब पूरा कर देती है। जिस महकमें पर अवैध शराब खोरी को रोकने का जिमा है वह मूक दर्शक बने तमाशबीन बना हुआ है। यहां बता दे कि तिकोनिया सड़क पर सजने वाले स्ट्रीट बारों पर कार्रवाही को लेकर कितने ही मर्तवा स्थानीय नागरिक पुलिस के साथ ही सम्बन्धित आबकारी विभाग में शिकायत कर चुके है पर विभाग हल्की-फुल्की दबिश दे कर अपने फर्ज की इतिश्री कर लेते है। जिस वर्कशॉप लाइन पर ये स्ट्रीट बार सजते है उसके ठीक सामने वन विभाग की पूरी कॉलोनी है। कॉलोनी में रहने वाले परिवारों को इन स्ट्रीट बारों पर होने वाले शोरगुल से तो आये दिन दो चार होना ही पड़ता है साथ ही कॉलोनी की बहू-बेटियों के आवागमन में भी ये बार परेशानी का सबब बने हुये है। इन ठेलारूपी स्ट्रीट बारों पर शाम के समय लगने वाली भीड़ से महिलाओं का सड़क पर चलना दुर्भर हो गया है। शिकायतों के बाद भी इन स्ट्रीट बारों के खिलाफ किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई का न हो पाना किसी बड़ी मिली भगत को दर्शाता है। स्ट्रीट बारों के साथ ही सड़क से लगी अधिकांश दुकानों में शराब का आसानी से उपलब्ध होना शराब के बडे खेल की ओर इशारा करता है जो शराब माफिया द्वारा सुनियोजित ढ़ंग से संचालित किया जा रहा है, जिसकी गहरायी से जांच किये जाने की नितांत आवश्यकता है। शराब के इस अवैध खेल से सरकार को तो राजस्व की हानि हो ही रही है साथ ही सामाजिक माहौल भी प्रदूषित हो रहा है।
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