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मुस्लिमों की चुप्पी ने बढ़ाई धड़कने

राजेश सरकार

हल्द्वानी। लोकतंत्र के महापर्व का आगाज हो गया है, लेकिन इस बार चुनाव का रंग नजर नहीं आ रहा है। न ढोल की थाप न नारों की गूंज सुनाई दे रही है। बस प्रत्याशी खामोशी से जनसंपर्क कर चुनाव प्रचार कर रहे हैं। भारत का लोकसभा चुनाव विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का महापर्व है। देश में कई चरणों में होने वाले इस चुनाव में जहां विभिन्न राजनीतिक पार्टियां और दल पूरे जोश खरोश के साथ चुनाव प्रचार करते हैं। वहीं इस चुनाव को लेकर आम जनता में भी गहमागहमी रहती है। प्रत्याशी को जिताने के लिए जुलूस, रैलियां, जनसभाएं, रोड शो किए जाते हैं। उम्मीदवार के साथ समर्थकों की भीड़ ढोल बजाते हुए और नारे लगाते हुए चलती है। बात अगर नैनीताल-उधम सिंह नगर व हरिद्वार लोकसभा सीट की करे तो कांग्रेस ने अभी यहाँ अपना प्रत्याशी ही घोषित नहीं किया है, हां इसके लिए दिल्ली दरबार में माथापच्ची किए जाने की चर्चा जरूर जोरों पर है। ठीक इसके उल्ट भाजपा ने उत्तराखंड की पांचो लोकसभा सीटों पर अपना प्रत्याशी ही घोषित नहीं किया बल्कि हार जीत के आंकड़ों की बाजीगरी में कांग्रेस को उलझा कर रख दिया है। पार्टी के उम्मीदवारों के समर्थकों ने चुनाव प्रचार को भी भले ही धीमी गति दे रखी है लेकिन य़ह विपक्ष के उम्मीदवारो को निश्चित रूप में भारी पड़ सकता है।

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मुस्लिमों की चुप्पी ने बढ़ाई धड़कने

मुस्लिमों की चुप्पी ने इन दिनों पार्टियों की धड़कनें बढ़ाई हुई हैं। सभी राजनीति पार्टियां मुस्लिमों का मन टटोलने में जुटी है। राजनीतिज्ञ जानकर तो यहां तक कह रहे है कि कांग्रेस ऐसे प्रत्याशी को हरिद्वार व नैनीताल लोकसभा सीट से चुनाव में उतराने के लिए मंथन कर रही है, जिस पर मुस्लिमों की मेहरबानी हो सके।

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