शीर्ष कोर्ट की दो टूक, बुलडोजर एक्शन को लेकर नहीं चलेगी मनमानी
नई दिल्ली: पिछले कुछ दिनों में बुलडोजर एक्शन पर जिस तरह के फैसले सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं उससे यही लग रहा था कि बुधवार को कोई सख्त फैसला ही आएगा। जमीयत उलेमा- ए-हिन्द बनाम उत्तरी दिल्ली नगर निगम व अन्य से संबंधित केस में सुप्रीम कोर्ट ने दो टूक कहा है कि इस मामले में मनमाना रवैया बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
अधिकारी मनमाने तरीके से काम नहीं कर सकते। बगैर सुनवाई आरोपी को दोषी नहीं करार नहीं दिया जा सकता है। जस्टिस ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अपना घर पाने की चाहत हर दिल में होती है। अदालत ने अपने फैसले की शुरूआत में कहा कि ‘अपना घर हो, अपना आंगन हो, इस ख्वाब में हर कोई जीता है। इंसान के दिल की ये चाहत है कि एक घर का सपना कभी न छूटे। पर सवाल यह है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं क्या उसका पालन हो पाएगा? सुप्रीम कोर्ट ने जो आदेश दिए हैं वो शिरोधार्य हैं पर उनका पालन कौन कराएगा? यद्यपि यह फैसला दिल्ली सरकार से संबंधित है पर इसमें कोई दो राय नहीं है कि इस फैसले के बाद अब योगी सरकार के लिए बुलडोजर एक्शन लेना भी मुश्किल हो जाएगा। पर पूरी तरह नामुमकिन हो जाएगा, यह नहीं कहा जा सकता। कार्यपालिका के पास असीम शक्तियां होती हैं। इसी बल पर हर साल सुप्रीम कोर्ट के आदेशों को कार्यपालिका विभिन्न कारणों को आधार बनाकर सैकड़ों आदेशों का अनुपालन नहीं करती है।
किसी एक की गलती की सजा पूरे परिवार को कैसे दी जा सकती है
नई दिल्ली : बुलडोजर कार्रवाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को फैसला सुनाया। अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों में कानून का राज होना चाहिए। किसी के घर को मनमाने ढ़ग से नहीं गिराया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि अगर कोई दोषी है, तो कानून के आधार पर घर गिरा सकते हैं। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अवैध कार्रवाई करने पर अधिकारी को भी दंड मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अपराधी को सजा देना कोर्ट का काम है। अभियुक्तों और दोषियों के पास भी कुछ अधिकार है। कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी का घर गिराना कानून का उल्लंघन है। बता दें कि, इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच कर रही है। उच्चतम न्यायालय ने फैसला सुनाते वक्त कहा कि, अगर किसी व्यक्ति का घर मनमाने ढ़ग से गिराया है, तो मुआवजा मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया के तहत बुलडोजर चलाया जा सकता है। किसी एक की गलती की सजा पूरे परिवार को नहीं दी जा सकती है। कोर्ट ने आगे कहा कि आरोपी के पूरे परिवार को क्यों बेघर किया जाए? सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बुलडोजर कार्रवाई से पहले आरोपियों का पक्ष भी सुना जाए। नियमों के मुताबिक नोटिस जारी होना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि रजिस्टर्ड डाक से नोटिस भेजा जाए और आरोपी के मकान पर चिपकाया जाए। साथ ही कहा कि कार्रवाई से पहले 15 दिन का वक्त दिया जाए।