दीपक का इस्तीफा कांग्रेस के लिए शुभ संकेत नहीं
हल्द्वानी। जिस प्रदेश में कभी कांग्रेस की तूती बोलती थी, वहां आज कांग्रेस के नाम पर सिर्फ ‘सन्नाटा’ है। पांच लोकसभा सीटों वाले उत्तराखंड में कांग्रेस पिछले 10 सालों में शून्य पर सिमट गई। अब इसे कांग्रेस की किस्मत कहें या फिर ‘भगवा मैजिक’ कि इस जादूगरी में कांग्रेस की चूलें हिल कर रह गईं।
वैसे पिछले 10 सालों में प्रदेश में कांग्रेस की कयादत (नेतृत्व) भी ज्यादा दमदार नहीं रही। हांलाकि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष करण महरा जरुर पार्टी को ‘संजीवनी’ देने के लिए एक्टिव मोड में दिख रहे हैं, लेकिन यह तो लोकसभा चुनावों के परिणामों के बाद ही पता चल पाएगा कि करण महरा की दौड़ धूप ने क्या ‘गुल’ खिलाया।
बात सपा, बसपा या अन्य दलों की करे तो लोकसभा चुनाव में इन पार्टियों ने केवल खानापूर्ति के लिए प्रत्याशियों को टिकट दिया और इसका फायदा सीधे तौर पर भाजपा को हुआ। हरिद्वार लोकसभा से बसपा सुप्रीमों मायावती ने इस बार राज्य आंदोलनकारी भावना पांडेय को अपना उम्मीदवार बनाया है, इससे भाजपा को तो कोई फर्क पड़ने वाला नहीं है, हां इससे कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ना तय है। राजनीतिज्ञ जानकारों का कहना है कि पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत के पुत्र वीरेंद्र रावत को काग्रेस ने हरिद्वार से टिकट दिया है, य़ह भाजपा प्रत्याशी व पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत के लिए शुभ संकेत है। ऐसा ही मंजर नैनीताल- उधमसिंह नगर लोकसभा सीट पर देखने को मिला है, यहां से कांग्रेस ने दो-दो बार कालाढूंगी विधानसभा से चुनाव हार चुके प्रकाश जोशी को अपना उम्मीदवार घोषित कर भाजपा प्रत्याशी व केंद्रीय राज्य मंत्री अजय भट्ट को यह सीट थाली में सजा कर तोहफे के रूप में सौपने का कार्य किया है।
दीपक का कांग्रेस से इस्तीफा
उत्तराखण्ड कॉंग्रेस प्रदेश प्रभारी सुश्री कुमारी शैलजा व प्रदेश अध्यक्ष करण महरा को काग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने अपना इस्तीफा सौंप दिया है। अपने इस्तीफे में दीपक ने लिखा है कि वह बहुत ही भारी मन से कॉंग्रेस पार्टी से इस्तीफा देने के लिए विवश है।