भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश
देहरादून। पद्म श्री आर्थोपीडिक एवं स्पाइन सर्जन डाॅ. बी. के. एस. संजय आज वीर माधो सिंह भण्डारी उत्तराखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्याालय के इंडक्सन प्रोग्राम में मुख्य अतिथि में बोलते हुए कहा कि भारत चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बना है। उन्होंने चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पहुंचने की एतिहासिक सफलता के लिए इसरो के सभी वैज्ञानिकों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि हम सब भारतवासियों के लिए यह गर्व का अवसर है। उन्होंने आशा जताई कि भविष्य में तिरंगा झण्डा मंगल और शनि पर फहरेगा।
संबोधन के दौरान पद्म श्री डाॅ. संजय ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना पूरा करने के लिए हर बच्चे को भोजन, शिक्षा और स्वास्थ मिलना चाहिए वो भी अच्छा और सस्ता।
डाॅ. संजय ने कहा कि अच्छा बनो, अच्छा करो पर अच्छा बनने के लिए अच्छा करना पड़ता है और अच्छा करने के लिए अच्छा बनना पड़ता है।
डाॅ. संजय ने पुस्तकों के बारे में कहा कि व्यक्तियों की तुलना में पुस्तकें सबसे अच्छी दोस्त होती हैं। पुस्तकें न केवल हमारी दोस्त बल्कि हम सभी के लिए शिक्षक, अभिभावक और मार्गदर्शक की तरह कार्य करती हैं।
परिवर्तन एक सार्वभौमिक नियम है और यदि व्यक्ति, समाज और देश में बदलाव लाने की जरुरत है तो विचारों को बदलना होगा जिसके लिए पुस्तकें एक अच्छा, सस्ता और स्थायी माध्यम हैं।
डाॅ. संजय ने उपस्थित बच्चों को ड्राफ्ट के सिद्धांत का नया विचार दिया कि हम हर काम को पहली बार में ही अच्छा करें क्योंकि किए हुए काम की मरम्मत करना और पुनः उसी काम को दोबारा करना एक मुश्किल और महंगा काम है। उन्होंने कहा आप अपने पेशे के प्रति ईमानदार और निष्ठावान रहें और जो कुछ भी करें उसे बेहतर ढंग से करें। पद्म श्री डाॅ. संजय ने सभी छात्रों को एक अभिभावक की तरह सुझाव दिया कि आप वही करें जिसको आप पसंद करते हैं और यदि किसी परिस्थिति और कारणवश ऐसा नहीं होता है तो आप जो भी करें उसे पसंद करें।
डाॅ. संजय ने कहा कि किसी भी व्यक्ति के लिए सफलता का मूलमंत्र है व्यवहार, ज्ञान और कौशल का होना। किसी भी कार्य को करने के लिए विचार मुख्य स्रोत होते हैं जिसमें विचारों को बदलने में व्यवहार का महत्वपूर्ण योगदान होता है क्योंकि हमारे अधिकांशतः आवश्यकताओं की पूर्ति व्यवहार, ज्ञान और कौशल के माध्यम से ही पूरे होते हैं।
उन्होंने कहा आज 90 प्रतिशत सड़क दुर्घटनाऐं चालकों की लापरवाही के कारण होती हैं। आगे बढ़ने की होड़, तेज गति से वाहन चलाना, शराब पीकर वाहन चलाना, वाहन चलाते समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना यह सब व्यवहारिक समस्याऐं ही हैं। यदि व्यक्ति चाहे तो वह जीवन के किसी भी स्तर पर अपने व्यवहार में बदलाव ला सकता है चाहे वह फिर अच्छे के लिए हो या फिर बुरे के लिए।
डाॅ. संजय ने कहा आप जैसे छात्र राष्ट्र का भविश्य हैं। काम की गुणवत्ता काम करने वाले की गुणवत्ता पर निर्भर करती है और काम करने वाली की गुणवत्ता उसकी शिक्षा की गुणवत्ता पर और बच्चों की शिक्षा की गुणवत्ता शिक्षक की गुणवत्ता पर। वास्तव में शिक्षक ही समाज के निर्माता हैं। शिक्षा और शिक्षकों से जुड़ी समस्याओं के ऊपर समाज और सरकार को ध्यान देना चाहिए। बच्चों को सपने लेने चाहिए और उनको पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत और दृढ निश्चय करना चाहिए क्योंकि युवा पीढ़ि ही राष्ट्र का भविष्य हैं।