

उत्तरकाशी की वादियों में अमरनाथ का प्रतिरूप!
देहरादून: उत्तरकाशी, उत्तराखंड से रवाना एक ख़ास ख़बर, जहाँ बर्फ अब सिर्फ़ मौसम नहीं रही एक मूर्ति बन गई है।
कल्पना कीजिए, 4300 मीटर की ऊंचाई पर, चारों ओर बर्फ ही बर्फ, न आवाज़, न हलचल सिर्फ़ सन्नाटा और सफेदी। और इस सफेदी में अचानक एक आकृति, जैसे मौन में बोलता कोई भगवान। जी हां, उत्तराखंड की नेलांग घाटी में मिला है एक बर्फ से बना शिवलिंग, ठीक वैसा ही जैसा अमरनाथ में होता है।
उत्तराखंड राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) की टीम ट्रैकिंग और पर्वतारोहण के दौरान जब उस अनाम चोटी की तरफ बढ़ रही थी, तब कुछ देखा कुछ अलौकिक, कुछ अविश्वसनीय। वहाँ एक शिवलिंग जैसा बर्फ से बना ढांचा था, और पास में नंदी जैसा आकार। यह कोई मंदिर नहीं था, न ही कोई पुजारी लेकिन पूरा दृश्य मानो आध्यात्मिकता से गूंज रहा था।
इस बीच एक प्रश्न क्या हमें अब अमरनाथ जाने की आवश्यकता नहीं रही? धार्मिक पर्यटन के नक्शे पर अब एक नई बिंदु जुड़ सकती है नीलापानी का शिवलिंग।
एसडीआरएफ की टीम नीलापानी क्षेत्र की 6,054 मीटर ऊंची अनाम चोटी पर चढ़ाई कर रही थी। अभियान की शुरुआत मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के उस निर्देश से हुई थी, जिसमें उन्होंने साहसिक खेलों और ट्रैकिंग के नए मार्ग खोजने की बात कही थी। और देखिए, ट्रैकिंग करते-करते टीम को खुद भगवान मिल गए, एसडीआरएफ के सेनानायक अपर्ण यदुवंशी ने बताया कि इस इलाके में पहले कोई मानवीय गतिविधि नहीं हुई। यानी ये बर्फीली प्रतिमा प्राकृतिक है, आस्था की भाषा में ईश्वरीय है, और भूगोल की नज़र में एक नया तीर्थ स्थल हो सकता है।
टीम ने इस पर्वत का नाम ‘माउंट सिंदूर’ रखने का सुझाव दिया है एक श्रद्धांजलि उन शहीदों को जो पहलगाम आतंकी हमले में मारे गए। नाम में देशभक्ति, खोज में आस्था, और बर्फ में भक्ति कहानी पूरी है।अब सवाल यह नहीं कि यह शिवलिंग कैसे बना सवाल यह है कि हम क्या इसे महसूस कर सकते हैं?
क्या ये बर्फ का ढांचा हमारे भीतर जमी हुई आस्था को फिर से जगा सकता है? क्योंकि देवभूमि में भगवान मिलते नहीं, प्रकट होते हैं और इस बार वे बर्फ में बोले हैं।