

हल्द्वानी: पुलिस की दुनिया अक्सर बाहरी संघर्ष से भरी होती है, लेकिन अंदर की लड़ाई तनाव, मानसिक दबाव, भावनात्मक थकावट कम ही नजर आती है। इसी अंदरूनी जंग से निपटने के लिए कोतवाली हल्द्वानी में एक अनूठा प्रयास हुआ, जहां मनोचिकित्सक डॉ. निकिता गौनियां ने पुलिसकर्मियों के लिए तनाव प्रबंधन और मानसिक स्वास्थ्य की कार्यशाला आयोजित की।
यह कोई मामूली आयोजन नहीं था, बल्कि उन चुनौतियों की जमीनी हकीकत को समझने और दूर करने की पहल थी, जो रोजाना पुलिसकर्मियों के मन-मस्तिष्क को थका देती हैं। लगातार दबाव, ‘क्रिटिकल इन्सिडेंट्स’ के बीच मानसिक संतुलन बनाए रखना किसी आसान काम की तरह नहीं। इसीलिए डॉ. निकिता ने व्यावहारिक तकनीकों से उनके भीतर छुपे तनाव को कम करने और भावनात्मक मजबूती बढ़ाने के रास्ते खोले।
समाजसेवी हेमंत गौनियां की पहल से शुरू हुई यह मुहिम नैनीताल जिले के सभी थानों तक मुफ्त पहुंचाने की योजना के साथ, पुलिस बल को मानसिक रूप से सशक्त बनाने का एक अहम कदम है। कोतवाल राजेश यादव ने भी इसे पुलिसकर्मियों की कार्यक्षमता और समर्पण बढ़ाने वाला बताया।
कार्यशाला के दौरान मिली प्रेरणा और सीख पुलिसकर्मियों के लिए राहत की सांस जैसी थी। उन तमाम अनकहे जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश थी, जो कर्तव्य की ड्यूटी निभाते हुए अक्सर वे अपने लिए नहीं कर पाते।

यह शिविर साबित करता है कि पुलिस सुरक्षा के साथ-साथ उनकी मानसिक सुरक्षा भी जरूरी है, वरना कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी अधूरी रह जाएगी। इस पहल से स्पष्ट होता है कि पुलिस सुधार केवल नई नीतियों या कानूनों तक सीमित नहीं, बल्कि उनके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल से शुरू होती है। आखिरकार, जब तक पुलिसकर्मी तनावमुक्त और मनोवैज्ञानिक रूप से स्वस्थ नहीं होंगे, तब तक समाज की सुरक्षा का सपना अधूरा ही रहेगा। यही वजह है कि इस तरह के कार्यशालाओं को सिर्फ एक कार्यक्रम न मानकर, एक जरूरी जरूरत के रूप में देखा जाना चाहिए।
इस नई उम्मीद के साथ पुलिस बल आगे बढ़ेगा, और हम सब का भरोसा बनेगा कि सुरक्षा सिर्फ बाहरी दुश्मनों से ही नहीं, बल्कि अपने भीतर के भय और तनाव से भी लड़ने में सक्षम है।