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सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण लागू करने के बाद ही होने है चुनाव

देहरादून/हल्द्वानी। नगर निकायों में तैनात प्रशासको का कार्यकाल दोबारा बढ़ने की तैयारी में है। शहरी विकास विभाग के सूत्रों की माने तो सरकार और शासन की ओर से इस संबंध में विस्तृत आख्या भेज दी गयी है। शहरी विकास विभाग से छनकर आ रही खबरों के मुताबिक नगर निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर नियमावली में संशोधन नहीं होने से प्रशासको का कार्यकाल बढ़ाना पडे़गा। हालांकि ओबीसी आरक्षण को लेकर गठित एकल समर्पित आयोग की ओर से रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद कैबिनेट में नगर निकाय एक्ट में संशोधन करने के साथ ही सरकार अध्यादेश जारी कर चुकी है, लेकिन अब नियमावली में संशोधन होना है। इसी नियमावली के आधार पर ही नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था लागू होगी। शहरी विकास विभाग के अफसरों के मुताबिक नियमावली में संशोधन पर निर्णय विधानसभा सत्र में चर्चा करने के साथ लिया जा सकता है। अगले माह विधानसभा सत्र बुलाए जाने की उम्मीद है, ऐसे में माना जा सकता है कि जल्द ही नियमावली में संशोधन होने के साथ ही ओबीसी आरक्षण को लागू किए जाने का रास्ता साफ हो जाएगा। लेकिन, अब जबकि इसी माह नगर निकायों के प्रशासकों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है तो एक बार फिर कुछ माह के लिए प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाना पड़ सकता है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नगर निकायों में ओबीसी आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के बाद ही चुनाव होने है। राज्य सरकार ने ओबीसी आरक्षण लागू करने को लेकर एकल समर्पित आयोग का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है और सरकार ने रिपोर्ट के आधार पर ही एक्ट में संशोधन करने के साथ ही अध्यादेश भी जारी कर चुकी है। लेकिन नियमावली में संशोधन विधानसभा में पारित नहीं होने से पेंच फंसा हुआ है। ऐसे में यदि अगले माह प्रस्तावित विधानसभा सत्र के दौरान नियमवाली में संशोधन कर दिया जाता है तो ओबीसी आरक्षण लागू करने का रास्ता साफ होने के साथ ही जल्द चुनाव कराए जा सकते है। लेकिन अक्टूबर से पहले चुनाव हो पाएंगे इसकी संभावना कुछ कम ही नजर आ रही है। ऐसे में नगर निकायों में तैनात प्रशासकों का कार्यकाल बढ़ाना सरकार की मजबूरी है।

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