राजेश सरकार
हल्द्वानी। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी डीपीसीए (ड्रग प्राइज कन्ट्रोल ऐक्ट) के अंतर्गत आने वालीं महत्वपूर्ण दवाओं की कीमत में 12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इनमे शुगर, दिल, बीपी, एंटीबायोटिक व पेन किलर दवाये शामिल है। जिनकी सबसे ज्यादा खपत होती है। लेकिन अहम बात य़ह है कि डीपीसीए के अधीन आने वालीं दवाओं को डाक्टर लिखते नहीं और जिन दवाओं को डाक्टर लिखते है उनकी कीमतें सरकार नहीं कम्पनियां तय करती है। यानी जिन दवाओं की कीमत सरकार बढ़ाने की अनुमति देती है उन्हीं दवाओं के साल्ट की कीमत को नामी कम्पनियां
कभी भी अपनी मर्जी से बढ़ा देती है इनपर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है, जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ता है।
कोई भी मरीज जब किसी डाक्टर के पास इलाज के लिए पहुंचता है तो डाक्टर उसे वह दवाएं लिखते है जो नामी कंपनियों की होती है। जबकि वह दवाएं डीपीसीए के आधीन नहीं होती। क्योंकि शुगर, दिल, पेनकिलर, एंटीबॉयोटिक व बीपी जैसी बीमारियां उम्र के हिसाब से होती है। इन बीमारियों से ग्रस्त मरीजों को दवा लेना अनिवार्य है लेकिन डाक्टर केवल उन्हीं कंपनियों की दवा लिखते है जिन कंपनियों से उन्हें कमीशन मिलता है। जबकि शुगर के लिए मेटफार्मिन, एंटीबॉयोटिक के रूप में सिप्रोक्सीन, दिल के लिए सेल्विटोल व पेन किलर के रूप में पेरासिटामोल दवा डाक्टर नहीं लिखते है।
कांबिफ्लेम, ज़िंटैक, ब्रुफेन, बीकासूल व कोब्राडेक्स जैसे साल्टों की कीमत कंपनी नहीं बढ़ा सकती। इन साल्टों की नामी कंपनियों द्वारा बनाई दवाएं लिखी जाती है। जो मरीज अस्पतालों में भर्ती है उन्हें बाहर से दवाएं नहीं लेने दी जाती। ऐसे में अस्पताल में स्थित मेडिकल स्टोर्स से ही दवाएं लेनी पड़ती है। लेकिन यहां पर जो दवाएं मिलती है वह कंपनियों से सीधी सप्लाई द्वारा आती है। वहीं डाक्टर भी इन्हीं दवाओं को लिखते है जो डीपीसीए से बाहर होती है। लेकिन डीपीसीए के अंतर्गत आने वाली दवाओं के भी हर साल 12 प्रतिशत तक दाम बढ़ जाते है, वहीं डीपीसीए से बाहर रहनें वाली दवाओं की कीमत कंपनी कभी भी बढ़ा देती है। जिसका असर अस्पतालों में भर्ती मरीजों के बिलों पर सीधे तौर पर पड़ता है।
सरकार तय करे लागत
कंपनियां खुद उन दवाओं की कीमत तय करती है। जो सरकारी नियमों से बाहर है। अगर सरकार लागत से कीमत तय करे तो कंपनियों की मनमानी के साथ उनपर सरकार की निगरानी भी होगी।
- नरेंद्र कुमार साहनी, अध्यक्ष हल्द्वानी केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन