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मजदूर की मौत ने खोला कंपनी की करतूतों का काला चिट्ठा भाग- 2

बीते 4 जून को हल्द्वानी के हरिपुर ज़मन सिंह में टिप्पर से कुचलकर मोहनराम नामक श्रमिक की दर्दनाक मौत ने ग्रामवासियों को दहला कर रख दिया है। एक तरफ जहां ग्रामीणों का आक्रोश बढ़ता जा रहा है वहीं दूसरी तरफ दोषी मानी जा रही कंपनी बी.आई.पी.एल. और प्रशासन के कानों में जूं तक रेंगती नजर नहीं आ रही, जिसके चलते ग्रामवासियों ने उक्त कंपनी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की ठान ली है।

किसी मजदूर की मौत से वर्गों में बटे इस समाज को क्षणिक दुःख तो होता है पर बतौर नागरिक उनकी संवेदनाएं ज्यादा हरकत नहीं करती हैं, उस पर वह दलित हुआ तो कहने ही क्या। पर संवैधानिक रूप से न्याय दिलाने की जिम्मेदारी प्रशासन पर होती है। जब प्रशासनिक अमला सोया नजर आता है तो पीड़ित जनता के पास आक्रोश व्यक्त करने को विरोध प्रदर्शन के सिवा और रह ही क्या जाता है। इसी की सुगबुगाहट दिखाई दे रही है आजकल चांदनी चौक घुड़दौड़ा में, जहां मोहन राम नामक श्रमिक की दर्दनाक मौत हो गई थी।

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ग्रामवासियों का कहना है कि जहां संकरी रोड पर तेज रफ्तार टिप्पर मौत का जिम्मेदार है इससे कहीं ज्यादा जिम्मेदार प्रशासन और उक्त कंपनी है जो चोरी छिपे उपखनिज बेच रही है जो ऐसे भयावह हादसों को अंजाम दे रहे हैं। स्थानीय प्रशासन को चाहिए कि उक्त कंपनी को नियम विरुद्ध काम करने और मोहन राम की मौत का जिम्मेदार मान जल्द से जल्द हत्या का मुकदमा कायम करना चाहिए। ग्रामवासियों की जिंदगी खतरे में डाल कर प्रशासन चैन की नींद कैसे सो सकता है।

यहां बताते चलें कि मोहनराम की मौत के बाद उसकी 9 वीं कक्षा में पढ़ने वालीं 14 वर्षीय पुत्री मेघा की जिंदगी भी अधर में लटकी हुई है। मोहन राम के बाद उसका पालन और पढ़ाई कैसे होगी ये एक बड़ा सवाल है जो उसके रिश्तेदारों और ग्रामवासियों की आंखों में साफ दिखाई देता है। पिता की मौत से सदमे में आई मेघा अपने भविष्य को लेकर सशंकित है, यही भय उसके हमउम्र भाई बहनों की बात से भी जाहिर हुआ जो अंतिम संस्कार में शामिल होने उसके घर पहुंचे हैं।

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मृतक मोहन राम के छोटे भाई विनोद कुमार इन दिनों तेरहवीं से संबंधित क्रिया कलापों के लिए उनके घर पर हैं, जिन्हें मोहन राम की बेटी मेघा की चिंता है। क्योंकि विनोद कुमार एक प्राइवेट कंपनी के सुरक्षाकर्मी हैं जो 12 घंटों की नौकरी के बाद महीने में बमुश्किल दस हजार रुपए कमा पाते हैं, उनकी चिंता है कि इतनी रकम में वे खुद के चार लोगों का परिवार जैसे तैसे चलाते है और ऐसे में वो अपनी भतीजी के लिए क्या कर पाएंगे। उक्त कंपनी के खिलाफ उनके आक्रोश की एक बड़ी वजह यह भी है।

इस बावत हमने चांदनी चौक घुड़दौड़ा की ग्राम प्रधान निशा कुल्याल से कुछ सवाल किए तो उनका कहना था कि ऐसे वाहनों को मुख्यमार्ग से आना जाना चाहिए पर सड़क पर हादसे कोई नई बात नहीं। हमें मोहनराम की मौत का अफसोस है, उसका परिवार यदि विरोध प्रदर्शन करता है तो हम उसके साथ हैं।

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