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देहरादून/ हल्द्वानी। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी ने नए सत्र में फिर रंग दिखाना शुरू कर दिया है। फीस में अत्यधिक वृद्धि, आरटीई के तहत भेदभाव, एनसीआरटीई की किताबों के अलावा निजी प्रकाशन की किताबों का अनिवार्य होना, और छात्रों से जबरदस्ती फीस वसूली का मामला हर साल की तरह फिर से सामने आया है। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) ने इस साल प्राइवेट स्कूलों के खिलाफ विरोध उठाया और जिलाधिकारी देहरादून कार्यालय का घेराव किया। इस दौरान रेंजर्स ग्राउंड से जिलाधिकारी कार्यालय तक विरोध मार्च भी निकाला गया। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि स्कूलों की मनमानी बंद नहीं होती, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

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अभाविप ने प्रमुख रूप से ये मांगें रखी हैं:

हर वर्ष फीस में अत्यधिक वृद्धि पर कठोर कार्रवाई।

आरटीई के तहत छात्रों के साथ भेदभाव का खात्मा।

प्राइवेट पब्लिकेशन की किताबों पर नियंत्रण।

छात्रों से जबरदस्ती फीस वसूली को रोका जाए।

विभिन्न कार्यक्रमों के नाम पर धन संग्रह पर पाबंदी।

प्रशिक्षित शिक्षकों की जांच कर उनकी उचित वेतन सुनिश्चित की जाए।

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अभाविप के महानगर मंत्री यशवंत पंवार ने कहा कि सामान्य छात्रों की पढ़ाई पर मानसिक और आर्थिक असर पड़ रहा है, जिससे उनका जीवन प्रभावित हो रहा है। सभी को समान शिक्षा का अधिकार मिलना चाहिए, और यह प्रशासन की जिम्मेदारी है कि वे इस पर ध्यान दें।इस आंदोलन में अभाविप के कई प्रमुख नेता जैसे गढ़वाल संयोजक सुमित कुमार, प्रांत छात्रा प्रमुख ईशा बदलवाल, और अन्य छात्र नेता भी उपस्थित थे।

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