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हल्द्वानी: आज की इस ख़बर में न कोई बयानवीर है, न कोई रीलों का हीरो। यह कहानी है एक ऐसे बच्चे की, जो चुपचाप मेहनत करता रहा और जब मंच मिला, तो उसने नारे नहीं, वजन उठाया। और ऐसा वजन उठाया कि पूरा उत्तराखंड गर्व से खड़ा हो गया। जी हां हल्द्वानी के रहने वाले अभिनव खोलिया जिनकी उम्र केवल 14 साल है। लेकिन कारनामा ऐसा कि बड़े-बड़े दिग्गजों की पेशानी पर पसीना आ जाए। टैगोर पब्लिक स्कूल का छात्र, जिसने कोल्हापुर की मिट्टी पर अपने पसीने की स्याही से इतिहास लिखा।
21 से 25 मई के बीच महाराष्ट्र की छत्रपति शिवाजी यूनिवर्सिटी में आयोजित हुई राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप। और वहीं पर उत्तराखंड की उम्मीदों को लेकर उतरे अभिनव ने स्क्वाट, बेंच प्रेस और डेडलिफ्ट में कुल 307.5 किलोग्राम भार उठाया।
ध्यान दीजिएगा, ये आंकड़े हैं कल्पना नहीं। और यह उस बच्चे का प्रदर्शन है जिसका खुद का वजन महज 47 किलोग्राम है। यह कोई खेल की खबर भर नहीं है।
यह उस समाज के लिए आईना है, जो सोचता है कि संसाधन नहीं हैं तो सफलता नहीं मिलेगी। अभिनव की कहानी बताती है कि अगर इरादा साफ हो, मेहनत निरंतर हो और रास्ता कठिन हो तो ही इतिहास बनता है। उस उम्र में जब बच्चे मोबाइल और मॉक टेस्ट में उलझे रहते हैं, अभिनव ने खुद को एक लोह पुरुष की तरह तैयार किया। सुबह की पहली किरण के साथ उठकर घंटों की ट्रेनिंग, खाने से लेकर आराम तक का अनुशासन और यह सब बिना किसी ग्लैमर, स्पॉन्सर या शो-ऑफ के। टैगोर पब्लिक स्कूल और उनके कोच को भी इस सफलता में श्रेय देना होगा, जिन्होंने उसे मौका दिया, तैयार किया, और उसकी ताक़त पर भरोसा रखा। उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य से आकर यह मुकाम हासिल करना बताता है कि हमारी युवा पीढ़ी में वो काबिलियत है, जो अगर सही दिशा में लगे तो देश का नाम रौशन कर सकती है।
तो अगली बार जब कोई कहे कि हमारे बच्चों में कुछ खास नहीं है, तो बस उन्हें अभिनव खोलिया की तस्वीर दिखाइए। 14 साल की उम्र में राष्ट्रीय पावरलिफ्टिंग चैंपियनशिप में प्रतिनिधित्व करने वाला यह बच्चा, सिर्फ वजन नहीं उठा रहा वो हमें हमारे खोए हुए भरोसे का भार भी वापस लौटा रहा है।

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